बिहार में ऑफ़लाइन चल रहे प्र’दूषण जां’च केंद्रों को अब बंद करने की का’र्रवाई की जाएगी. जब तक प्र’दूषण जांच केंद्रों को ऑनलाइन नहीं किया जाएगा तब तक वैसे केंद्रों को बंद रखा जाएगा. परिवहन सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि प्र’दूषण जांच केंद्र ऑनलाइन होने से फ’र्जी सर्टिफिकेट पर ल’गाम लगेगी. आये दिन फ’र्जी प्र’दूषण सर्टिफिकेट की शि’कायत मिलती रही है.

सभी प्रदूषण जांच केंद्रों को ऑनलाइन करने से न सिर्फ रेवेन्यू चोरी को रोका जा सकेगा, बल्कि प्रदूषण जांच वाहनों का रिकार्ड ऑनलाईन पोर्टल पर उपलब्ध हो सकेगा. इस साल जनवरी से अगस्त 2019 तक पीयूसी से कुल 42.49 लाख रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई है. आने वाले दिनों में इससे राजस्व की काफी बढ़ोतरी हो सकेगी. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देषानुसार पीयूसी सेंटर को वाहन डेटाबेस से लिंक करना है. इसके साथ ही इसकी सूचना एम परिवहन और ई-चालान प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराना है, ताकि वाहन चालकों को किसी तरह की परेशानी से गुजरना नहीं पड़े. पीयूसी को वाहन सॉफ्टवेयर से लिंक किये जाने पर प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी होते ही इसका रिकार्ड ऑनलाइन इंट्री जो जाएगा, जिसे आवश्यकतानुसार ई चालान पर और एम परिवहन पर भी देखा जा सकता है.

परिवहन सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने वैसे सभी प्रदूषण जांच केंद्रों को बंद करने का निर्देश दिया है, जिसे अब तक ऑनलाइन नहीं किया गया है. उन्हें अंतिम मौका देते हुए 30 सितंबर तक का समय दिया गया है. इस दौरान जांच केंद्र को ऑनलाइन नहीं किए जाने पर एक अक्टूबर से बंद करने की कार्रवाई की जाएगी.

राज्य में कुल 376 वैध प्रदूषण जांच केंद्र हैं, जिसमें 315 केंद्रों को ऑनलाइन किया गया है. शेष 61 प्रदूषण जांच केंद्र अभी ऑनलाइन है. इसमें सबसे अधिक पटना में 23 प्रदूषण जांच केंद्र ऑफ़लाइन है. वहीं बेगूसराय, मुजफ्फरपुर में 5-5, दरभंगा में 4, गया, रोहतास, खगड़िया, जमुई, बेतिया, औरंगाबाद, समस्तीपुर में 2-2 , मधेपुरा, शेखपुरा, बांका, नवादा, सुपौल, अरवल, सीतामढ़ी, मुंगेर, लखीसराय, भागलपुर में एक-एक प्रदूषण जांच केंद्र ऑफ़लाइन हैं.

परिवहन सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि हर प्रखंड में कम से कम एक प्रदूषण जांच केंद्र खोला जाएगा. अधिक से अधिक जांच केंद्र हो इसके लिए उन्होंने सभी डीटीओ और एमवीआई को निर्देश दिया है.

Input : Live Cities

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