पटना के गांधी मैदान में बीपीएससी री-एग्जाम और चार अन्य मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) को सोमवार तड़के पुलिस ने हिरासत में ले लिया। सुबह करीब 3:45 बजे पुलिस ने उन्हें जबरन गिरफ्तार किया, जिसके बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई।

बीजेपी और महागठबंधन ने जताई प्रतिक्रिया

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने प्रशांत किशोर पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उनकी राजनीति अब समाप्ति की ओर है। उन्होंने कहा, “खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।” जायसवाल ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर छात्रों के नाम पर अपनी राजनीति चमका रहे थे और प्रशासन के निर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे।

वहीं, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने प्रशांत किशोर को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे छात्रों की आड़ में अपनी राजनीतिक नौटंकी कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण में जन सुराज का यह आंदोलन किया जा रहा था, जो अब उजागर हो गया है। कांग्रेस ने भी प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए कहा कि छात्रों के आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश हो रही थी।

गिरफ्तारी के दौरान बढ़ा तनाव

प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी के दौरान पुलिस और जन सुराज कार्यकर्ताओं के बीच काफी हंगामा हुआ। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पीके को हिरासत में लेते समय पुलिस ने बल प्रयोग किया और एक अधिकारी ने उन्हें थप्पड़ तक मारा। प्रशांत किशोर को स्वास्थ्य जांच के लिए एम्स ले जाया गया, जहां कार्यकर्ताओं के इकट्ठा होने के बाद उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया।

प्रशांत किशोर ने बीपीएससी री-एग्जाम समेत अन्य मांगों को लेकर अनशन शुरू किया था। छात्रों के हितों से जुड़े इस आंदोलन को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार और प्रशांत किशोर दोनों को कटघरे में खड़ा किया है। राजद ने आश्वासन दिया कि तेजस्वी यादव छात्रों के अधिकारों के लिए सड़क से लेकर संसद तक लड़ाई जारी रखेंगे।

गिरफ्तारी के बाद प्रशांत किशोर को कोर्ट में पेश किया जाएगा। उनकी गिरफ्तारी ने न केवल जन सुराज के आंदोलन को, बल्कि बिहार की राजनीति को भी गरमा दिया है। अब देखना होगा कि प्रशांत किशोर और उनके समर्थक इस स्थिति का सामना कैसे करते हैं।

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