आजतक सबने मच्छरदानी में इंसानों को सोते देखा था लेकिन कैमूर जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां मच्छरदानी में गाय-भैंस सोती है। सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगता है लेकिन यह मामला बिल्कुल सही है।

कैमूर के मोहनिया के सरेया गांव में दुधारू पशुओं को कीट-पतंगों से बचाने के लिए उन्हें मच्छरदानी में रखा जाता है। मोहनिया प्रखंड से 7 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में लगभग 700 लोग रहते हैं। ज्यादातर लोग दुधारू पशुओं के पालकर अपनी जीविका चलाते हैं। गांव में मच्छरों का भीषण प्रकोप होने के बाद लोग अपने जानवरों को मच्छरों से बचाने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करते हैं।

मच्छरों के काटने से पशु व्याकुल होते थे और खाना-पीना भी कम कर दिया था। इस कारण दूध भी कम होता था। पहले तो ग्रामीणों को कुछ समझ में नहीं आया। फिर पशु चिकित्सकों ने बताया मवेशियों को मच्छर और कई प्रकार के छोटे-छोटे कीट काटते हैं। इस कारण वह अच्छे से खा नहीं पाती हैं और जब शरीर को पोषण और आराम नहीं मिलेगा तो वह दूध सही नहीं दे पाएगी। तब जाकर ग्रामीणों ने मच्छरदानी का प्रयोग करना शुरू किया।

गांव में जितने भी पशु हैं उनके बराबर लंबाई चौड़ाई की मच्छरदानी सिलवाया गया और सभी पशुओं को मच्छरदानी से पैक कर सुलाया जाने लगा। सुखद परिणाम ये हुआ की इसके बाद पशुओं ने एक से डेढ़ लीटर दूध ज्यादा देने लगे।

रिपोर्टः अजय (Kashish News)

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