ऐसा हालिया राष्ट्रीय राजनीतिक परिपेक्ष्य में कहा जाता है की मोदी ने देश को विपक्ष विहीन कर दिया है,चुनाव नतीजे भी ऐसे हीं रहे हैं। बिल्कुल ऐसा हीं देखने मिल रहा है उत्तर बिहार का कोढ़ बन चुके AES(चमकी बुखार) के मामले में। “ट्वीटर बबुआ” के नाम से संबोधन पाने वाले तेजस्वी यादव ने ट्वीटर पर ट्वीट करने के अलावे मुजफ्फरपुर में सरकारी विफलताओं को उजागर करने के बजाए गायब रहने को तरजीह दिया।हाँ,उन्होंने अपने कुछ जिला स्तरीय नेताओं का दल भेजा जो “छपास रोग”का लाभ ले कर चले गए वही छपास रोग जिसमें फोटो में छप जाने और कैमरे पर दिख जाने का काम होता है।

युवाओं के बीच लोकसभा चुनाव में लोकप्रिय हुए दिल्ली के नेता कन्हैया कुमार जो कि गरीबों कि आवाज और हर मुद्दे पर विरोध करने वाली विचारधारा कि पार्टीके सदस्य होने का दावा करतें है,उन्होंने भी मुजफ्फरपुर का अवाज बनने का कष्ट नहीं उठाया,जबकि काल के गाल में समाने वाले अधिकतम बच्चें अत्यंत गरीब है।

पारिवारिक अनुकंपा पर नियुक्त केंद्र और राज्य के मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर कि जनता के आक्रोश को आवाज देने के बजाय गायब रहना बेहतर समझा है,भला हो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के पत्रकारों का जिन्होंने खुद आवाज बन कर आवाज उठाने का काम किया है। अब ऐसे में हम मुजफ्फरपुर और आसपास कि आम जनता के उपर दायित्व है कि AES जैसे कलंक के खात्मे के लिए सरकार पर दवाब बनाए,समय एकजुट हो कर श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में कम से कम इलाज के निम्न सुविधाओं को सुनिश्चित करा सकने के लिए एक हो कर आवाज उठाने का है ताकि आने वाले वर्षो में फिर कोई मजबूर,मासूम,असहाय बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में दम ना तो दे।

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