राज्य सरकार मगही पान की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेगी। शेडनेट में पान की खेती के लिए किसानों को सरकार 75 प्रतिशत अनुदान देगी। 500 वर्गमीटर शेडनेट में पान की खेती की इकाई लागत 4.25 लाख रुपए हैं इसमें 75 प्रतिशत यानी लगभग 3.16 लाख रुपए अनुदान मिलेगा। कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि नावादा, नालंदा, गया और मधुबनी के अलावा अन्य 13 जिलों वैशाली, खगड़िया, दरभंगा, भागलपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, शेखपुरा, बेगूसराय, सारण, सीवान और मुंगेर में पान की खेती करायी जाएगी। 2019-20 में इस योजना में 500 वर्गमीटर का 100 इकाई लक्ष्य तय किया गया है। बिहार कृषि विवि सबौर के अधीन पान अनुसंधान केंद्र इस्लामपुर में कृषि अधिकारी किसानों को पान की खेती की तकनीक बताएंगे। किसानों को प्रशिक्षण मिलेगा। यहां पान ऑयल डिस्टीलेशन इकाई की स्थापना भी कार्ययोजना में शामिल है।

मगही पान को जीईआई टैग मिल गया है। 2019-20 में 286.46 लाख और 2020-21 में 53.2 लाख रुपए अनुदान पर खर्च का लक्ष्य है। उत्तर बिहार में पान की बंगाल किस्म और दक्षिण बिहार में बंगाल और मगही पान किस्म की खेती की जाती है। मगही पान विभिन्न राज्यों के साथ दूसरे देश में भी निर्यात किया जाता है। राज्य की जलवायु अधिक गर्म और ठंडी होने के कारण इसकी खेती खुले खेतों में नहीं की जा सकती है। इसलिए इसे कृत्रिम मंडप के अंदर उगाया जाता है। इसे बरेजा या बरेठ कहा जाता है। इसके निर्माण में बांस, पुआल, कास और सुतली आदि का प्रयोग होता है, जो प्राकृतिक आपदा में आसानी से बर्बाद हो जाता है। इसमें पटवन भी खर्चीली है। अधिक परिश्रम के बाद भी इसमें किसानों को बेहतर लाभ नहीं मिल पाता है। इसलिए शेडनेट में पान की खेती कराने का लक्ष्य तय किया गया है।

शेडनेट के भीतर मिश्रित खेती करने से किसानों को अतिरिक्त आमदनी

शेडनेट का स्थायी संरचना का निर्माण, शेडनेट में माइक्रो इरिगेशन के तहत ड्रिप एवं फॉगर से पटवन की व्यवस्था करना है। इस योजना के कार्यान्वयन से पान की गुणवत्तायुक्त पत्तियों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। पान में लगने वाली कीट व्याधि के प्रकोप से बचाव भी इससे होगा। शेडनेट के भीतर परवल, पोई, पपीता, अरबी, मिर्च, लौकी, ककड़ी, पालक व अदरक आदि की मिश्रित खेती से किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी।

Input : Dainik Bhaskar

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