बिहार में लगातार पुल गिरने की घटनाओं ने हड़कंप मचा दिया है। इस समस्या के समाधान के लिए, नीतीश सरकार ने राज्य भर में 30 साल से पुराने पुलों और पुलियों का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है। जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य पुलों और पुलियों की सुरक्षा की जांच करना है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

पिछले 16 दिनों में राज्य में 10 से अधिक पुल बारिश और बाढ़ के कारण ध्वस्त हो चुके हैं, जिससे प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। एसीएस चैतन्य प्रसाद ने कहा कि सर्वेक्षण अगले 15 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में जिन नहरों की सफाई की गई थी, उनका भी पुनः निरीक्षण किया जा रहा है। सीवान और सारण जिलों में छाड़ी गंडकी नदी पर पुलिया के ध्वस्त होने के मामले में उन्होंने संबंधित संवेदक और अभियंताओं को प्रारंभिक रूप से जिम्मेदार ठहराया है।

बिहार में हो रहे ब्रिज हादसों की चर्चा देशभर में हो रही है और विपक्ष इस मुद्दे पर नीतीश सरकार को निशाना बना रहा है। पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी नीतीश सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी ग्रामीण विकास और पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर पुलों के रखरखाव को लेकर जरूरी निर्देश दिए हैं।

बता दें कि बिहार में विभिन्न विभागों द्वारा नदी, नालों और नहरों पर कई छोटे-बड़े पुलों का निर्माण किया गया है। जल संसाधन विभाग ने भी नहरों के ऊपर आम जनता की सुविधा के लिए कई पुल बनाए हुए हैं। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य इन पुलों की वर्तमान स्थिति की जांच करना और आवश्यकतानुसार मरम्मत कार्य करना है। सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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