बिहार विवि में स्नातक में नामांकन के लिए आठ सितंबर को ली जाने वाली परीक्षा तत्काल स्थगित हो गई है। अगले दो से तीन दिनों में यह तय हो जाएगा कि जांच परीक्षा लेकर ही नामांकन किया जाए या इसे टालकर सीधे नामांकन कराया जाए। कुलपति डॉ. आरके मंडल ने गुरुवार को इस बिंदु पर विचार-विमर्श के लिए सभी प्राचार्यों की विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में बैठक बुलाई थी। परीक्षा लेने में प्राचार्यों ने व्यवहारिक कठिनाइयों से अवगत कराया। यह बात भी रखी कि अधिकतर विश्वविद्यालयों में स्नातक में नामांकन के लिए जांच परीक्षा नहीं ली गई। अगर परीक्षा नहीं टाली जा सकती तो इस राह में उत्पन्न समस्याओं को पहले दूर किया जाए फिर कोई फैसला हो। दिक्कतें दूर होने तक प्राचार्यों ने परीक्षा लेने से सीधे-सीधे हाथ खड़े कर दिए। लिहाजा, परीक्षा फिलहाल स्थगित कर दी गई। गौरतलब है कि 21 जुलाई को बाढ़ के नाम पर परीक्षा स्थगित की गई थी। दो बार परीक्षा स्थगित होने तथा नामांकन में विलंब के चलते करीब डेढ़ लाख छात्र-छात्राएं पसोपेश में हैं। उनमें जबरदस्त आ’क्रोश है।
अब राजभवन से मार्गदर्शन लेंगे वीसी
कुलपति ने कहा कि अब राजभवन से इस बिंदु पर मार्गदर्शन लेकर कोई फैसला लिया जा सकेगा। पांच जिलों में 42 अंगीभूत व 18 संबद्ध कॉलेजों यानी 60 कॉलेजों में एक लाख के करीब सीटों पर नामांकन होना है। 1,44,412 छात्रों ने आवेदन किए हैं जिनमें आट्र्स में 65,536, कॉमर्स में 8,434 तथा साइंस में 20, 675 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। स्नातक सत्र 2019-22 में पहली बार विश्वविद्यालय स्तर पर ऑनलाइन आवेदन के साथ सेंट्रलाइज्ड एंट्रेंस टेस्ट लेने का प्रयास हो रहा है।
परीक्षा लेने में व्यवहारिक कठिनाई
आवेदकों का जारी एडमिट कार्ड में किसी का रौल नंबर गलत है तो किसी की फोटो गलत है। 1400 के करीब लोग अभी तक अपनी शिकायत दर्ज करा चुके हैं। तीन-तीन पालियों में परीक्षा लेने में भारी कठिनाई। तीनों पाली में एक ही प्रश्नपत्र होने पर उसके लीक होने का खतरा है। एक पाली में अगर पंद्रह सौ परीक्षार्थी हैं तो तीन पाली में एक केंद्र पर 45 सौ होंगे और उनको संभालने के लिए 90 शिक्षक और पर्याप्त डेस्क-बेंच भी चाहिए। किसी कॉलेज में इतने शिक्षक नहीं हैं। पर्याप्त पुलिस बल भी चाहिए। लॉ एंड ऑर्डर का प्राब्लम खड़ा हो सकता है। सभी बच्चों के पास मोबाइल होगा और उसको जमा रखना भी मुश्किल भरा कार्य हो सकता है। प्राचार्यों से ये समस्याएं कुलपति ने लिखित तौर पर मांगी। अगर परीक्षा होती है तो प्राचार्यों को ही नामांकन का अधिकार मिल जाएगा। वे अपने स्तर से मेरिट लिस्ट निकालकर नामांकन लेंगे। फिर सभी डिटेल्स विश्वविद्यालय को भेजा जाएगा।
Input : Dainik Jagran