कांग्रेस की कार्यकारिणीं समिति ने शनिवार को अध्यक्ष राहुल गांधी के पद से इस्तीफे की पेशकश को नामंजूर कर दिया। बैठक के दौरान राहुल ने वरिष्ठ नेताओं पर बेहद नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने अपने बेटों के हितों को पार्टी हित से ऊपर रखा। चुनावों में हार के कारणों की समीक्षा के लिए बुलाई गई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में राहुल काफी गुस्से में थे। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर अपने बेटों को टिकट दिलवाने के लिए जोर लगाने का आरोप लगाया। राहुल ने यह बात ज्योतिराजदित्य सिंधिया की उस टिप्पणी पर कही जिसमें सिंधिया ने स्थानीय नेताओं को तैयार करने की बात कही थी।

राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने उन राज्यों में भी बहुत खराब प्रदर्शन किया है जहां वह सरकार में थी। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने अपने बेटों को टिकट देने पर जोर दिया हालांकि वह निजी रूप से इसके पक्ष में नहीं थे। इस संदर्भ में राहुल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम का भी नाम लिया। इतनी बड़ी हार के बाद काफी गुस्से में नजर आ रहे राहुल ने पार्टी नेताओं पर मुद्दों को लेकर ढिलाई बरतने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कैंपेन में उठाए गए मुद्दों को आगे बढ़ाकर बीजेपी और उसके नेता नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मजबूत राय नहीं तैयार की गई। सूत्रों ने कहा कि राहुल ने खास तौर पर राफेल डील और ‘चौकीदार चोर है’ जैसे मुद्दों का नाम लिया।

राहुल ने पार्टी में जिम्मेदारी का भाव होने की बात कही। राहुल ने खुद को हार का जिम्मेदार मानते हुए कहा कि वह पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे रहे हैं। इससे कमिटी में भावनात्मक दृश्य शुरू हो गया। सीनियर नेताओं ने कहा कि राहुल ने यह चुनाव आगे बढ़कर लड़ा है और उन्हें हिम्मत हारने की कोई जरूरत नहीं है। एक बार जब एके एंटॉनी, अहमद पटेल और पी. चिदंबरम ने राहुल को शांत किया तब प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि अगर राहुल इस्तीफा देते हैं तो वह बीजेपी की चाल में फंस जाएंगे। अन्य नेताओं ने भी राहुल से पद पर बने रहने का अनुरोध किया। इस बीच एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राहुल की जगह लेने वाला कोई नहीं है और अगर वह पद छोड़ते हैं तो कार्यकर्ता आत्महत्या कर सकते हैं।

Input:News24

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