बक्सर पुलिस ने व्हाट्सअप पर श’राब पीने की तस्वीर देखकर चार लोगों को गिर’फ्तार कर सीधे जे’ल भेज दिया। पटना हाई’कोर्ट ने इस मामले में श’राबबंदी कानून के दुरु’पयोग पर हैरानी जाहिर करते हुए पुलिस की का’र्रवाई शै’ली पर सवाल खड़ा करते हुए जम’कर फ’टकार लगाई और बक्सर के एक थानाध्यक्ष और अनुसंधानकर्ता को नो’टिस जारी करते हुए को’र्ट ने निजी तौर पर अपना-अपना जबाब देने का आदेश दिया है।

इसके साथ ही इस मामले में गि’रफ्तार हुए लोगों के खि’लाफ निचली अदालत में चल रही कार्र’वाई पर भी रोक लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आ’रोपितों पर किसी भी प्रकार की दं’डात्मक कार्रवाई करने पर भी रोक लगा दी है।

कोर्ट ने कहा-इतनी लापरवाही क्यों बरती गई, जवाब दो

सोमवार को न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह की एकलपीठ में मनोज कुमार सिंह एवं विनय कुमार सिंह की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान शराबबंदी कानून के दुरुपयोग पर सवाल उठाया गया। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से पूछा कि कानून के गलत इस्तेमाल को लेकर उन पर क्यों नहीं हर्जाना लगाया जाए।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि व्हाट्सएप पर भेजे गये फ़ोटो के आधार पर पुलिस ने आवेदकों को शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। लेकिन, पुलिस ने यह भी पता नहीं किया की वायरल फोटो कब की है और कहां ली गई है?

पुलिस ने ये भी पता लगाने की कोशिश नहीं की कि आवेदक ने शराब पिया था या नहीं। इस बारे में पुलिस ने मेडिकल तक नहीं कराया। इस तरह पुलिस की बिना सोचे समझे ही केस करने से चार लोगों को सात दिन जेल में रहना पड़ा है।

क्या है मामला

बक्सर मुफ्फसिल थानेदार को उनके सरकारी मोबाइल के व्हाट्सएप पर सदर डीएसपी ने 30 जून को कुछ तस्वीरें भेजी थी। एक तस्वीर में चार लोगों को एक कार के अंदर शराब पीते दिखाया गया था।

इस मैसेज के आधार पर पुलिस ने एमडीएम के कार्यपालक सहायक राजेश कुमार, बाजार समिति के सदस्य विनय कुमार, मनोज कुमार सिंह एवं नई बाजार वार्ड नम्बर पांच के सदस्य संजय साह की पहचान कर ली और सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। एक सप्ताह बाद ये सभी जमानत पर बाहर आए। अब इन आरोपितों ने गलत तरीके से फंसाए जाने पर हाई कोर्ट में आपराधिक रिट याचिका दायर कर मुकदमे को निरस्त करने की गुहार लगाई है।

Input : Dainik Jagran

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