बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की लापरवाही पर पटना हाई कोर्ट के तरफ से नाराजगी व्यक्त की गई है। दरअसल वर्ष 2017 की मैट्रिक परीक्षा के दौरान एक प्रश्न पत्र में गलती से छात्रा को परीक्षा में फेल कर दिया गया था जबकि उसने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी। जिसके बाद अब पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को निर्देश दिया है कि उक्त छात्रा को 2 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने आदेश में कहा है कि छात्रा कंचन ने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी लेकिन बिहार बोर्ड और उसके अधिकारियों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
इसके साथ न्यायालय ने बिहार बोर्ड को निर्देश देते हुए कहा कि वह याचिकाकर्ता कंचन को मुआवजे के रूप में दो लाख रुपये का भुगतान करे। साथ ही 25 हजार रुपये मुकदमेबाजी के खर्च के तौर पर मिले।
बता दें कि पूर्वी चंपारण के नरकटिया स्थित बीएलएसएसपी हाई स्कूल की छात्रा कंचन ने 2017 की मैट्रिक परीक्षा में सभी विषयों में प्रथम श्रेणी से पास हुई थी। हालांकि संस्कृत के अनिवार्य पेपर में उसे गलत तरीके से फेल घोषित कर दिया गया था। जिसके बाद कंचन के पिता मनोज कुमार ने वर्ष 2019 में न्याय की मांग करते हुए पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।