मधुबनी : एक तो जिले में लोग बाढ़ से पहले से ही परेशान थे और सोमवार को एक अजीबोगरीब दृश्य ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है। सोमवार को जिले के लौकही थाना स्थित कौरयाही गांव के भगवानपुर चौड़ी में धान के खेत में अचानक आसमान से एक 15 किलो का पत्थर गिरा जिसके गिरने की आवाज लगभग 5 किलोमीटर तक सुनाई दी।
इस तरह से आसमान से कथित तौर पर एक वजनी पत्थर का गिरना आम लोगों के लिए एक पहेली बन गया है। पहली बार इस तरह की घटना पर हर कोई हतप्रभ है। पत्थर गिरने की वजह से अनभिज्ञ आम लोगों में तरह-तरह की आशंकाएं भी पनप रही हैं।
मालूम हो कि बीते सोमवार को जिले के लौकही थाना क्षेत्र की महादेवा पंचायत के कौरियाही गांव के एक खेत में कथित तौर पर आसमान से तेज आवाज के साथ करीब 15 किलो वजनी पत्थर गिरने की घटना ने लोगों को चौंका दिया है।
खेत में धंसा पाया गया था पत्थर
ग्रामीणों की मानें तो खेत में आसमान से तेज आवाज के साथ पत्थर गिरा था और राम एकबाल मंडल के खेत में कुछ फीट नीचे धंस गया। यह दावा है कि पत्थर गिरने वाली जगह पर कुछ पल के लिए सफेद धुंआ देखा गया। पत्थर धंसने वाली जगह तत्काल गर्म पाई गई थी।
इस अजीबोगरीब घटना से आश्चर्यचकित प्रत्यक्षदर्शियों में सुभाष कुमार, प्रदीप कुमार सहित कई लोगों ने तत्काल पत्थर धंसने वाली जगह पर खोदाई कर उक्त पत्थर को बाहर निकाला। इस घटना की जानकारी मिलते ही पत्थर को देखने के लिए आसपास के गांवों के लोगों की भीड़ जुटने लगी।
पत्थर को पीपल वृक्ष के नीचे रख ग्रामीणों ने शुरू कर दी पूजा-अर्चना
घटना की सूचना मिलने पर लौकही थानाध्यक्ष अरविंद कुमार, अंचल अधिकारी त्रिपुरारी श्रीवास्तव, प्रखंड प्रमुख वरुण कुमार मौके पर पहुंच कर उक्त पत्थर को अपने कब्जे में लेकर उसे थाना ले आए। बाद में डीएम के आदेश पर सोमवार की रात अंचलाधिकारी ने उसे जिला कोषागार में ले जाकर सुरक्षित रखवा दिया।
हालांकि इससे पूर्व स्थानीय लोगों ने उक्त पत्थर को निकट के ही एक पीपल वृक्ष के नीचे रखकर पूजा अर्चना शुरू कर दी थी। खेत से पत्थर निकालने वालों ने उसका वजन तकरीबन 15 किलो तक का होने का अनुमान किया है।
इन लोगों की मानें तो आसमान से पत्थर गिरने के साथ तेज आवाज करीब पांच किलोमीटर की दूरी तक सुनाई दी थी। लोगों ने बताया कि उक्त पत्थर चुंबकीय गुण है। पत्थर के निकट लोहा लाते ही वह उसे अपनी ओर खींच लेता था।
उल्का पिंड हो सकता है पत्थर
भूगोलवेत्ता के अनुसार यह घटना उल्कापिंड गिरने की घटना हो सकती है। स्थानीय रामकृष्ण महाविद्यालय के भूगोल विभाग के अतिथि शिक्षक प्रो. अमित कुमार ने इस संबंध में कहा कि उल्का पिंड ग्रह के टुकड़े होते हैं तथा यह स्वतंत्र अवस्था में ब्रह्मांड में घूमते रहते हैं। उल्कापिंड ब्रह्मांड में करोड़ों – अरबों की संख्या में मौजूद होते हैं तथा यह घूमते-घूमते कभी-कभी पृथ्वी की गुरुत्वकार्षण शक्ति के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं एवं तेजी से पृथ्वी पर गिरने लगते हैं।
आम तौर पर वायुमंडलीय घर्षण से यह आसमान में ही जलकर राख हो जाते हैं। कभी-कभी ये बड़े आकार में पृथ्वी पर गिरने के समय पूरी तरीके से जल नहीं पाते एवं बचा हुआ भाग पृथ्वी पर गिर जाता है।
राज्य सरकार को सूचना भेजी गई
जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने इस संबंध में मंगलवार को बताया कि उक्त पत्थर लौकही अंचलाधिकारी के माध्यम से मंगवाकर जिला मुख्यालय स्थित कोषागार में सोमवार की रात सुरक्षित रखवा लिया गया है। इस पत्थर के विषय में राज्य सरकार को सूचना दे दी गई है। यदि इस संबंध में जांच कराने का निर्देश प्राप्त होता है तो संबंधित विभाग के निदेशानुसार जांच संस्थान को भेज दिया जाएगा।
Input : Dainik Jagran