1 सितंबर 2019 देश में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू हुआ। चालान की राशि को कई गुना बढ़ा दिया गया। नियम-कानून अपने जेब में लेकर चलने वालों की शामत आ गई। धड़ाधड़ चालान कटने लगे। किसी की गाड़ी का 60 हजार चालान हो गया तो किसी ने अपनी गाड़ी ही फूंक दी। सोशल मीडिया पर मीम्स बनने लगे और ईएमआई पर चालान चुकाने की बात की जाने लगी। ये भी कहा गया कि अगर इसी तरह चालान कटता रहा तो देश की अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर आ जाएगी। देश का तो पता नहीं लेकिन हरियाणा पुलिस अगर जागरुक होती तो राज्य को भारी मुनाफा मिल जाता।

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खैर, हम वापस आते हैं अपने मुद्दे पर। जब मोटर व्हीकल एक्ट लागू हुआ तो चालान काटने में हरियाणा सबसे आगे निकल गया। हरियाणा की ट्रैफिक पुलिस ने चार दिन में ही 52.32 लाख के चालान काट दिए। गुरुग्राम में एक स्कूटी का 23 हजार चालान कटा। जबकि उसकी कीमत 15 हजार की ही थी। इसी तरह ओवर-स्पीड ट्रैक्टर ट्रॉली के ड्राइवर का 59 हजार का चालान कटा। सिरसा में भी एक बाइक का 23 हजार का चालान कटा। लेकिन हरियाणा पुलिस एक जगह चूक गई। जहां सामूहिक रूप से मोटर व्हीकल एक्ट के कानूनों को तिलांजलि दी गई। अगर उस रैली में पुलिस लोगों को पकड़-पकड़ के चालान काटती तो एक ही दिन में करोड़ों इकट्ठे हो जाते। सारे रिकॉर्ड्स टूट जाते। और अर्थव्यवस्था को भी राहत मिलती। और इस नेक काम के साक्षी पीएम मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी बनते।

The Lallantop के अनुसार 8 सितंबर 2019। रोहतक में पीएम मोदी की रैली थी। विजय संकल्प रैली। इसी रैली से पीएम मोदी ने हरियाणा में चुनाव प्रचार की शुरुआत की। पीएम की रैली में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला समेत तमाम नेता मौज़ूद थे। खूब भीड़ भी आई थी। उत्साही कार्यकर्ता बाइक से भी आए थे। बाकायदा सेल्फी भी ले रहे थे। लेकिन हेलमेट नहीं लगाए थे। बावजूद इसके कि मंच पर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री सब मौजूद थे।

प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने तो ट्विटर पर इन बिना हेलमेट वालों की फोटो भी शेयर की है। साथ ही लिखा है हरियाणा के युवा कुछ अलग अंदाज में पहुंचे। लेकिन काश सुभाष बराला जी समझ पाते कि अंदाज अलग नहीं बल्कि खतरनाक है। इन युवा साथियों की मेहनत को नमन नहीं बल्कि उन पर फाइन लगाने की जरूरत है। देश में हर साल औसतन पांच लाख सड़क हादसे होते हैं। इनमें लगभग एक डेढ़ लाख लोग अपने जान से हाथ धो बैठते हैं। हरियाणा की बात करें तो औसतन 15 हजार सड़क हादसे होते हैं। इनमें पांच हजार लोगों की मौत हो जाती है। रोड एक्सीडेंट्स में कमी आए इसीलिए नया कानून लाया गया। लेकिन अगर देश की संसद और विधानसभा में बैठे लोग ही जागरूक न हुए तो फिर ट्रैफिक पुलिस कितना भी चालान काट ले, ये हादसे बंद नहीं होने वाले हैं।

Input : Daily Bihar

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