पटना मेडिकल कॉलेज के लिफ्ट में भी VIP कल्चर है। इस पर मरीजों को आने जाने की इजाजत नहीं है। यह तभी ऑन की जाती है जब सवार होने वाला कोई VIP होता है। बीमार और कमजोर मरीजों की सेहत पर बिहार के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था भारी पड़ रही है। सांस के रोगियों के साथ यह जानलेवा है। हृदय और सांस के रोगियों को सीढियां चढ़ने के दौरान जान निकलने का डर होता है। यह गंभीर मामला सोमवार को जब CM के जनता दरबार में पहुंचा तो हड़कंप मच गया।
PMCH की इमरजेंसी में भी मरीजों के लिए नहीं लिफ्ट
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में कई बिल्डिंगों में मरीजों की सुविधा के लिए लिफ्ट लगाई गई है। महिला एवं प्रसूति विभाग भवन से लेकर इमरजेंसी तक में लिफ्ट लगी है। मरीजों की सुविधा के लिए लगाई गई लिफ्ट मरीजों को राहत नहीं दे पा रही है। इमरजेंसी और महिला एवं प्रसूत विभाग में भी लिफ्ट का भी यही हाल है। यहां भी मरीजों को लिफ्ट का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।
सांस और हृदय रोगियों की समस्या
सांस और हृदय रोगियों के लिए अस्पताल की मनमानी भारी पड़ रही है। लिफ्ट होने के बाद भी मरीजों को मनाही करने से सांस और हृदय रोगियों पर संकट होता है। मरीजों के साथ साथ परिजनों के लिए भी सीढ़ी चढ़ना काफी मुश्किल होता है। ऐसे मरीजों को दिन में दो बार भी सीढ़ी से चढ़ना उतरना पड़े तो उनकी हालत खराब हो जाती है। इसके बाद भी सिस्टम को चलाने वालों को तरस नहीं आती है।
कमजोर बच्चे भी चढ़ते हैं 120 सीढ़ी
पटना मेडिकल कॉलेज के महिला एवं प्रसूत विभाग की बिल्डिंग की पांचवी मंजिल पर थैलेसीमिया डे केयर सेंटर बनाया गया है। यहां थैलेसीमिया पीड़त बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज होता है और उन्हें खून चढ़ाया जाता है। प्रदेश का पहला डे केयर सेंटर है जहां बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था है। अक्सर थैलेसीमिया पीड़ित मासूमों का ब्लड काफी कम हो जाता है। इनका 4 से 5 ग्राम ही ब्लड होता है। ऐसे में पांचवी मंजिल पर मासूमाें को लगभग 120 सीढ़ी चढ़ना मुश्किल होता है।
सोमवार को मां वैष्णो देवी सेवा समिति के मुकेश हिसारिया ने इस गंभीर मामले और सिस्टम की जानलेवा मनमानी का मामला CM तक पहुंचाया। सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में गंभीरता दिखाई और मरीजों के साथ की जा रही मनमानी पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया है। जनता दरबार में थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों के इस दर्द को अफसरों ने भी महसूस किया, जिसके बाद PMCH में हड़कंप मच गया।
CM तक पहुंचा मामला विभाग ने खरीदी दवाएं
मुकेश हिसारिया ने जनता दरबार में CM नीतीश कुमार के सामने थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को मुफ्त में दी जाने वाली आइरन की गोलियों को लेकर सवाल उठाया था। सीएम तक मामला पहुंचते ही स्वास्थ्य विभाग ने 60 लाख की दवाइयां खरीद ली। आयरन की गोलियां काफी दिनों से खत्म हो गई थी जिससे गरीब थैलेसीमियां पीड़तों पर बीमारी भारी पड़ रही थी। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो लॉकडाउन के दौरान आइरन की गोली नहीं होने के कारण कई गरीब बच्चों की जान पर सिस्टम भारी पड़ गया। CM नीतीश कुमार ने थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की सभी समस्याओं का समाधान तत्काल कराते हुए दवा की व्यवस्था करने को कहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पटना के बाद गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और पूर्णिया में बहुत जल्द डे केयर सेंटर चलाने की बात कही है।
Input: dainik bhaskar