एक बार फिर सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच (PMCH) का कारनामा सामने आया है. इस बार यहां से एक जिंदा मरीज (Alive Patient) के नाम न सिर्फ डेथ सर्टिफिकेट (Death Certificate) जारी किया गया, बल्कि परिजनों को दूसरे का मृत शरीर भी सौंप दिया गया. यह राज तब खुला जब मृतक के परिजन बृजबिहारी ने बांस घाट पर मुखाग्नि से पहले मृतक का चेहरा दिखाने की मांग की. चेहरा देखते ही परिजनों के होश उड़ गए क्योंकि लाश किसी दूसरे की थी. इस बात का पता जब अस्पताल को चला तो उसने बांस घाट से बॉडी को अस्पताल मंगवाया, जहां परिजनों ने हंगामा भी किया.
राजकुमार भगत की लाश सौंपी चुन्नू की बताकर
दरअसल बाढ़ के रहने वाले कोरोना के मरीज चुन्नू को 9 अप्रैल को परिजनों ने पीएमसीएच के कोविड वॉर्ड में भर्ती करवाया था. बाद में अस्पताल कर्मियों ने परिजनों को सूचना दी कि मरीज चुन्नू कुमार की मौत हो गई है और बॉडी बांस घाट भेजी जा रही. परिजन भागे-भागे बांस घाट पहुंचे और अंतिम संस्कार के लिए कफन से लेकर लकड़ी तक की खरीदारी कर ली. यहां तक कि मरीज चुन्नू के बेटे मुखाग्नि देने के लिए भी तैयार हो गए थे. इस बीच मरीज के भाई बृजबिहारी ने डेड बॉडी का पहले चेहरा दिखाने की मांग की. फिर जब बॉडी का चेहरा दिखाया गया तो परिजन सकते में आ गए, क्योंकि वह किसी दूसरे की लाश थी.
हेल्थ मैनेजर बर्खास्त
जब पीएमसीएच को इसका पता चला तो उसने बांस घाट से लाश वापस मंगवाई, तब पता चला कि यह मृत शरीर पूर्णिया के राजकुमार भगत का है, जिसकी मौत आज ही कोरोना से हुई थी. इसके बाद जब चुन्नू के परिजन कोविड वॉर्ड में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वह जिंदा है और खाना खा रहा है. इस पूरे मामले पर अस्पताल के अधीक्षक डॉ आईएएस ठाकुर ने एक्शन लेते हुए जांच का आदेश दिया और जांच कमिटी की पहली रिपोर्ट आते ही एक हेल्थ मैनेजर को बर्खास्त कर दिया
पीएमसीएच ने मानी अपनी गलती
इधर इस मामले की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने भी अस्पताल के अधीक्षक और प्राचार्य को जांच का आदेश दिया और 24 घन्टे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया. जिलाधिकारी के आदेश पर डीएम कंट्रोल रूम के मजिस्ट्रेट ने भी जांच की और घटना को सत्य करार देते हुए इसे लापरवाही बताया और कहा कि मरीज चुन्नू कुमार जिंदा हैं, लेकिन परिजनों को गलत बॉडी सौंपकर डेथ सर्टिफिकेट दे दिया गया.
Input: News18