पुलिस पर हमले के आरोप में 23 साल से 34 आरोपित तारीख पर न्यायालय में पेश हो रहे हैं। लेकिन, इस कांड में गवाह पुलिस अधिकारी गवाही देने कोर्ट में नहीं आए। लंबे समय से लंबित इस मामले में कोर्ट ने पुलिस के शिथिल रवैय पर टिप्पणी की है। एडीजे 12 ने डीएम, एसएसपी व थानेदार को गवाही पेश करने का अंतिम मौका देते हुए नोटिस भेजा है। इसमें मंगलवार 22 जून की तिथि तय की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इतने लंबे समय से गवाही पेश नहीं किया जाना आरोपितों के अधिकार का हनन है। मंगलवार को आरोपितों को भौतिक रूप से कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है।
मुशहरी के नरौली चौक पर 15 दिसंबर 1999 को मिनी बस से कुचलकर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इसमें स्थानीय लोगों ने सड़क जाम किया था। पुलिस पहुंची तो भीड़ से पुलिस की भिड़ंत हो गई। पुलिस पर पथराव किया गया और जवाब में पुलिस ने हवाई फायरिंग की थी। भीड़ ने पुलिस से राइफल छीनने का प्रयास किया था। इसमें हवलदार के राइफल से गोली चल गई थी, जिसमें एक व्यक्ति के घुटने में गोली लगी थी। इस पर गुस्सायी भीड़ ने पुलिस की जीप को फूंक दिया था और मारपीट में पुलिस के चार जवान व तत्कालीन थानेदार जख्मी हो गये थे। तत्कालीन थानेदार ने बयान में कहा था कि भीड़ से बचने के लिए पुलिस के जवान और अधिकारी एक घर में छिप गये तो भीड़ ने पेट्रोल छिड़क कर घर में आग लगाने की कोशिश की थी, जिसके बाद हवाई फायरिंग की गई थी। पुलिस पर हमला में हवलदार रामकुमार चौधरी, सिपाही लखन मिश्रा, शत्रुध्न पासवान, लालदेव महतो, पुलिस जीप चालक ललन पांडेय गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। ये सभी इस कांड के गवाह हैं। कोर्ट में इस कांड के आरोपी सुधेश्वर राम और यदुनंदन महतो लगातार उपस्थित हो रहे हैं, जबकि अन्य आरोपितों का हाजरी पीटिशन वकील के माध्यम से डाला जा रहा है। लंबा समय बीतने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि कई आरोपितों की मौत हो गई हो। इसलिए कोर्ट ने सभी आरोपितों को भौतिक रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
गिरफ्तारी वारंट का दिया आदेश
कोर्ट ने गवाहों की गिरफ्तारी वारंट का आदेश देते हुए कहा है कि अभियोजन में साक्ष्य और गवाहों की पेशी के लिए डीएम और इलाके के थानेदार सीधे तौर पर जवाबदेह हैं। इसलिए अंतिम रूप से डीएम व थानेदार को गवाहों को हाजिर कराने के लिए नोटिस भेजा गया है। एसएसपी को इसकी प्रति भेजकर थानेदार को अपने स्तर से आदेश देने के लिए कहा गया है।
पुराना कांड है। उस समय के पुलिसकर्मी सेवानिवृत हो चुके होंगे। थानेदार को संबंधित गवाहों को सूचना देने के लिए कोर्ट के आदेश की प्रति भेजी जायेगी।– जयंतकांत, एसएसपी
Source : Hindustan