आबादी नियंत्रण के लिए किए जा रहे सारे उपायों के बाद भी मुजफ्फरपुर जिले की आबादी बढ़ रही है। बीते एक साल में जिले की आबादी 58 लाख से बढ़कर 60 लाख हो गयी है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष के हिसाब से जिले की आबादी हर साल दो गुने स्तर से बढ़ रही है। राष्ट्रीय स्तर पर जहां 1.1 फीसदी की दर से आबादी बढ़ी रही है, वहीं मुजफ्फरपुर में यह तीन फीसदी से अधिक है। वर्ष 2018 में यह दर 2.8 थी। राज्य में यह दर 2.5 फीसदी है।
जिले की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 48 लाख एक हजार 45 थी। वर्ष 2019 के मई तक यह बढ़कर 59 लाख 97 हजार 409 हो गयी है। वर्ष 2017 के मुकाबले सवा तीन लाख से अधिक आबादी इस साल अब तक बढ़ चुकी। स्वास्थ्य विभाग अपने विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन बढ़ी हुई आबादी पर ही कर रहा है। टीकाकरण के अनुसार, जिले की कुल आबादी में से 2.8 फीसदी एक साल उम्र के बच्चे हैं।
नीति आयोग के तहत आकांक्षी योजना में इस जिले को दो साल पूर्व ही शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि मुजफ्फरपुर की आबादी तेजी से बढ़ रही है। इसका असर नगर निगम के शहरी क्षेत्रों पर पड़ रहा है। शहर के अगल-बगल बसे नए मोहल्लों की आबादी मिलाकर कुल साढ़े सात लाख आबादी का दबाव शहर पर है। इस कारण अतिक्रमण व ट्रैफिक व्यवस्था चरमरायी हुई। विशेषज्ञों के अनुसार, आबादी को नियंत्रित नहीं किया गया तो वर्ष 2041 तक जिले की आबादी 80 लाख से अधिक हो जाएगी। इसके मद्देनजर तत्काल पहल जरूरी है।
सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट के अनुसार, आबादी बढ़ने के पीछे का मुख्य कारण परिवार नियोजन का सही से क्रियान्वयन नहीं होना है। बंध्याकरण, नसबंदी का लक्ष्य शत-प्रतिशत पूरा नहीं हो रहा है।
गरीबी, अशिक्षा व सामाजिक भ्रांतियां को बड़ा कारण बताया गया है। इसके साथ गर्भनिरोधक इंजेक्शन, गोली का सेवन व वितरण सही नहीं है। सदर अस्पताल के ओपीडी में परिवार नियोजन की काउंसिलिंग सही से नहीं हो रही है। प्रसव वार्ड में पीपीआईसीयूडी प्रवेश व कॉपर टी पर भी काम सही से नहीं हो रहा है। सीएस डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि अब काम दिखेगा। कई निर्देश दिए गए हैं। आशा कार्यकर्ता जागरूकता के लिए घर-घर जाकर परिवार नियोजन को लेकर आ रही समस्या पर काम करेंगी। इसकी कार्ययोजना बन गयी है।
इन प्रखंडों की अधिक बढ़ी आबादी:कुढ़नी, मोतीपुर, पारू, मुशहरी, मीनापुर, औराई, सकरा, सरैया, साहेबगंज अन्य प्रखंडों में आबादी अधिक बढ़ी है।
शहर की आबादी पांच लाख से अधिक हुई
शहर की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना में तीन लाख 91 हजार 499 थी। वर्ष 2018 में यह बढ़कर चार लाख 75 हजार 440 हो गयी। इस साल के मई माह तक शहर की आबादी पांच लाख को पार कर गयी थी। यह नगर निगम क्षेत्र की आबादी है। शहर के आसपास भगवानपुर, पताही, बैरिया, कोल्हुआ, झपहां रोड, उमानगर, रामदयालुनगर, तुर्की तक शहर के नाम पर घर बन रहे हैं। इसका दबाव भी नगर निगम के क्षेत्र वाले शहरी क्षेत्र पर है। आनेवाले समय में आबादी बढ़ने से रिहायशी इलाकों में आवास की कमी हो सकती है। इसके साथ बुनियादी व मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी होगा।
बंध्याकरण की स्थिति खराब
2016-17 में 20 हजार 110 ऑपरेशन हुए
2017-18 में 18 हजार 861 ऑपरेशन हुए
2018-19 में 17 हजार 919 ऑपरेशन हुए
2019-20 में आठ सौ ऑपरेशन हुए अब तक
Input : Hindustan