मुजफ्फरपुर में किराए पर दिए गए आवासीय मकानों पर अब डेढ़ गुना टैक्स देना पड़ेगा। शहर में किराए के मकान में रहने वाले लोगों की संख्या बहुत हैं लेकिन उसके हिसाब से नगर निगम को टैक्स नहीं मिल रहा है। इसे लेकर शहर के सभी मकानों के प्रॉपर्टी टैक्स की जांच शुरू की गई है। इसके लिए शहर के 49 वार्डों में 98 निगम कर्मियों की टीम लगाई गई है। ये सभी प्रॉपर्टी टैक्स का मूल्यांकन करेंगे। ये टीम सभी मकानों के कार्पेट एरिया की मापी कर रही है। भवन कितना मकान मालिक के उपयोग में है, कितने कार्पेट एरिया को किराए पर दिया गया है? मकान का कितना क्षेत्रफल व्यावसायिक उपयोग में हो रहा है? भवन का कुल क्षेत्रफल और सड़क के प्रकार के अनुसार कितना कुल टैक्स बनता है। इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर मकानों की मापी की जायेगी।
बता दें कि नगर निगम ने टैक्स मूल्यांकन के लिए शहर की सड़कों को तीन श्रेणियों में बांट रखा है। गलियों और सामान्य सड़कों की तुलना में मुख्य सड़कों के किनारे बने भवनों पर लगभग दो गुना टैक्स लग रहा हैं जबकि प्रधान सड़कों के किनारे के मकानों पर गलियों के मकान से तीन गुना ज्यादा टैक्स है। अब जब नए सिरे से मूल्यांकन व भवनों की जांच हो रही हैं तो इससे नगर निगम को हर साल करीब पांच से सात करोड़ रुपये प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोत्तरी हो सकती हैं।
नगर आयुक्त नवीन कुमार ने जांच कर रही टीम को आदेश दिया है कि कोई भी मकान छूटना नहीं चाहिए। मूल्यांकन पूरा होने के बाद नगर आयुक्त एक विशेष दल का गठन करेंगे जो हर वार्ड में जाकर रैंडम जांच करेगा। अगर इस दौरान कोई त्रुटि पाई गई तो मूल्यांकन करने वाली टीम पर कार्रवाई की जायेगी। नगर आयुक्त ने कहा हैं कि नया वित्तीय वर्ष शुरू होने तक नए मूल्यांकन के अनुसार टैक्स डिमांड तैयार किया जाएगा।
बता दें कि शहर में मकानों के पुराने क्षेत्रफल पर टैक्स वसूला जा रहा था। जबकि एक मंजिल का मकान बड़े पैमाने पर दो से तीन मंजिल के हो गए थें।कई आवासीय घरों को तोड़कर व्यावसायिक मार्केट बना लिया गया है। ऐसे मकानों के जांच के लिए अलग से टीम गठित की गई हैं। सात दिन से हो रहे जांच में ऐसे 250 मकानों को चिह्नित किया गया है। इन मकानों के मालिकों को नगर आयुक्त के तरफ से नोटिस भेजा गया हैं। उन्हें जुर्माने के साथ बकाया टैक्स का भुगतान करने का निर्देश दिया गया हैं।