राजस्थान के अजमेर जिले के पुष्कर में चल रहे अंतरराष्ट्रीय पशु मेले में मुर्रा नस्ल का 15 करोड़ रुपये का भैंसा ‘भीम’ आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जोधपुर से पुष्कर मेले में दूसरी बार प्रदर्शन के लिए लाए गए पौने सात वर्षीय मुर्रा नस्ल के इस भैंसे का वजन करीब 13 कुंतल (1300 किलोग्राम) है।

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14 फुट लंबे और 6 फुट ऊंचे भीमकाय शरीर के इस भैंसे को देखने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है। भैंसे को लेकर जोधपुर के जवाहर जाल जांगिड़ अपने पुत्र अरविंद के साथ सोमवार को पुष्कर मेला पहुंचे। अरविंद ने बताया कि भीम को 2017 में उदयपुर में एग्रोटेक मीट के दौरान पहली बार चाढ़े चार वर्ष की उम्र में प्रदर्शित किया गया था।

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वहां भीम को भारत के सुपर युवराज चैंपियन को बीट करते हुए श्रेष्ठ पशु से सम्मानित किया गया था। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अजय अरोड़ा बताया कि अच्छी नस्ल के भैंसे का वजन आमतौर पर 600 से 700 किलोग्राम होता है।

 भीम के खानपान की बात की जाए तो इसे प्रतिदिन देशी घी की एक किलो लापसी, काजू, बदाम, अंजीर, मक्का, हरी और सूखी घास, मक्खन, शहद और दूध आदि का भोजन कराया जाता है. इन सबकी कीमत प्रतिमाह एक लाख से अधिक आती है. भीम के भोजन की एक और विशेषता है कि उसे कभी भी बासी भोजन नहीं दिया जाता है.

अंतरराष्ट्रीय पशु मेले में विभिन्न प्रजाति के करीब पांच हजार से अधिक पशु पहुंचे हैं। इनमें ऊंट,घोड़े और गोवंश देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।

मासिक खर्च एक लाख रुपये: 
अरविंद ने बताया कि भीम के रखरखाव और खुराक पर प्रतिमाह करीब एक लाख रुपये खर्च हो रहा है। भीम को प्रतिदिन एक किलो घी, आधा किलो मक्खन, दो सौ ग्राम शहद, 25 लीटर दूध, सूखे मेवा आदि खिलाया जाता है।

 भीम की देखभाल के लिए 10 लोगों की टीम लगाई गई है जिसमें दो चिकित्सक भी शामिल हैं. इसे प्रतिदिन एक किलो सरसों के तेल से मालिश की जाती है. भीम को प्रतिदिन छह किलोमीटर की वॉक भी कराई जाती है.

बेचना नहीं चाहता मालिक:
भीम के मालिक अरविंद ने दावा किया कि इसे खरीदने के लिए 2016 में सर्वप्रथम 60 लाख रुपये की बोली लगाई गई थी जो धीरे-धीरे बढकर लगभग 15 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। लेकिन उन्होंने भीम को कभी बेचने की नहीं सोची।

वह मेले में भी भैंसे को बेचने के लिए नहीं बल्कि मुर्रा नस्ल के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से केवल प्रदर्शन करने के लिए लाए हैं। अरविंद ने बताया कि गत वर्ष पहली बार पुष्कर मेले में भीम को लेकर आए थे।

 भीम की ख्याति सुनकर उसे देखने देशी-विदेशी पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है. वो इसके बारे में सबकुछ जानना चाहते हैं. पर्यटकों का कहना है की भीम जैसा भैंसा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा. धन्य हैं ऐसे लोग जो लाखों रुपए खर्च कर पशुओं के नस्ल को बढ़ावा दे रहे हैं.

सीमन उपलब्ध करा रहे: 
अरविंद ने बताया कि पुष्कर मेले में वे पहली बार इच्छुक पशुपालकों को भीम का सीमन उपलब्ध करा रहे हैं। मुर्रा नस्ल के इस भैंसे के सीमन की देश में बड़ी मांग है। उन्होंने कहा कि भारत में अच्छी नस्ल के पशुधन की कमी नहीं है, लेकिन साधन और धन की कमी की वजह से अच्छी नस्ल की ब्रीड तैयार नहीं हो पाती।

Input : Hindustan

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