क्वाड की अहम बैठक के लिए देशों के नेता जापान में जुटने शुरु हो गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी टोक्यो पहुंच चुके हैं. यहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापान के पीएम फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के नवनियुक्त पीएम एंथनी अल्बानीज के साथ मंगलवार को शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. बताया जा रहा है कि क्वाड बैठक के दौरान चारों देश मिलकर एक मैरिटाइम सर्विलांस प्रोग्राम की शुरुआत करेंगे. इसका मकसद चीन की ओर से इंडो पैसिफिक रीजन में बड़े पैमाने पर की जा रही अवैध फिशिंग पर प्रभावी रोक लगाना है. आइए बताते हैं कि ये मैकेनिजम क्यों जरूरी है और चीन किस तरह से दूसरे देशों के इलाके में घुसपैठ करके मछली पकड़कर उन्हें कितनी बड़ी चोट पहुंचा रहा है.
लाखों लोगों की आजीविका को खतरा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अवैध रूप से मछली पकड़ने से लाखों लोगों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा हो गया है. संयुक्त राष्ट्र की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में करीब 3.3 अरब लोगों को पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन के 20 फीसदी हिस्से की भरपाई मछली खाने से होती है. लगभग 6 करोड़ लोग मछली पालन और पानी में खेती के कारोबार से जुड़े हुए हैं.
अवैध फिशिंग अब पाइरेसी से बड़ा खतरा
अवैध फिशिंग से होने वाले आर्थिक नुकसान का सटीक आंकड़ा तो मुश्किल है लेकिन कुछ अनुमान बताते हैं कि इसकी वजह से हर साल 20 अरब डॉलर (1500 अरब रुपये) का नुकसान होता है. ये संकट इतना भयानक है कि 2020 में अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने कह दिया था कि गैरकानूनी फिशिंग अब समुद्री डकैतियों से भी बड़ा खतरा बन चुकी है. इंडो पैसिफिक ही नहीं, बाकी इलाकों में भी अगर मछली पालन उद्योग बर्बाद होता है तो कई तटीय देशों की अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ सकती है. इंसानों की तस्करी, ड्रग्स से जुड़े अपराध और आतंकी वारदातों की बाढ़ आ सकती है.
इंडो पैसिफिक में 95% अवैध फिशिंग का चीन जिम्मेदार
चीन किस कदर अवैध फिशिंग को बढ़ावा देता है, इसका नमूना 2021 के IUU फिशिंग इंडेक्स से मिलता है. एक्सप्रेस के मुताबिक, 152 तटीय देशों की इस लिस्ट में चीन नियम तोड़ने के मामले में सबसे ऊपर है. चीन को इंडो पैसिफिक रीजन में होने वाली 80% से 95% अवैध फिशिंग के लिए जिम्मेदार माना जाता है. अपनी घरेलू जरूरतें पूरी करने के लिए वह अपने इलाके में इतनी मछलियां पकड़ चुका है कि वहां उनकी कमी हो गई है. इसलिए अब वह दूर-दूर तक अपनी नाव भेजकर फिशिंग कराता है. माना जाता है कि वह इस काम के लिए सब्सिडी तक देता है.
चीन के पास दुनिया में सबसे बड़ा जहाजी बेड़ा
एक ग्लोबल थिंकटैंक ओडीआई के अनुसार, चीन के पास मछली पकड़ने के लिए दुनिया में सबसे बड़ा जहाजी बेड़ा है. दूर पानी में मछली पकड़ने (DWF) के लिए उसके पास 17,000 से ज्यादा जहाज हैं. ये जहाज इतने सक्षम हैं कि एक ही बार में भारी मात्रा में मछलियां पकड़ सकते हैं. एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि चीन इनका इस्तेमाल कमजोर देशों के मछली पकड़ने वाले जहाजों को धमकाने और अपना रणनीतिक प्रभाव दिखाने के लिए भी करता है. कई विकासशील देशों में चीन के इस जहाजी बेड़े की अच्छी खासी तादाद में मौजूदगी है. 2019 और 2020 में चीन के दूर पानी में फिशिंग करने वाले बेड़े के कुल अधिकृत ऑपरेशनों में से एक तिहाई अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी अमेरिका के 29 एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन किए गए थे.
सैटलाइट तकनीक से ट्रैक करेंगे क्वाड देश
चीन की इसी बड़े पैमाने पर की जाने वाली अवैध फिशिंग के खिलाफ अब क्वाड के देश उठ खड़े हुए हैं. फाइनेंशियल टाइम्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि हिंद महासागर से दक्षिणी प्रशांत सागर तक चीन की अवैध फिशिंग पर रोक लगाने के लिए सैटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल करके एक ट्रैकिंग सिस्टम बनाया जाएगा. इसके लिए सिंगापुर और भारत में सर्विलांस सेंटरों को आपस में जोड़ा जाएगा. इसका फायदा ये होगा कि भले ही मछली पकड़ने वाली नाव अपने ट्रांसपोंडर को बंद कर दें, फिर भी उन्हें ट्रैक किया जा सकेगा. क्वाड देशों के इस कदम को प्रशांत सागर के छोटे द्वीपीय देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है.
Source : News18