विष्णुनगरी गया में चल रहे पितृपक्ष मेला-2024 के दौरान, हजारों तीर्थयात्री प्रतिदिन अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए पिंडदान कर रहे हैं। इन्हीं श्रद्धालुओं में जम्मू-कश्मीर के रजौरी बॉर्डर से आए राजकुमार शर्मा और उनकी पत्नी सत्या देवी भी शामिल थे, जिन्होंने 300 पूर्वजों के लिए गयाश्राद्ध किया। ये सभी पूर्वज भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान हुई हिंसा में मारे गए थे।

राजकुमार शर्मा का जन्म विभाजन से पहले पाकिस्तान के सुहाना क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने बताया कि बंटवारे के समय उनके परिवार के तीन गोत्र के करीब 300 रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी। उस समय शर्मा मात्र दो साल के थे और बचे हुए परिजन उन्हें लेकर भारत के रजौरी बॉर्डर स्थित डुंगी बरमना गाँव आ गए, जहाँ वे अब रह रहे हैं।

23 साल की मेहनत के बाद, उन्होंने अपने सभी पूर्वजों का रिकॉर्ड जुटाया और इस पितृपक्ष में गयाधाम आकर सात दिनों तक पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण किया। बुधवार को अक्षयवट में सुफल प्राप्त कर वे अपने घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं। राजकुमार शर्मा और उनके परिवार ने न केवल अपने पूर्वजों बल्कि रिफ्यूजी कैंप में स्वाभाविक मौत वाले लोगों के लिए भी पिंडदान किया।

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