कभी सीएम नीतीश कुमार का दाहिना हाथ माने जाने वाले आरसीपी सिंह ने भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद शनिवार को जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।सरकारी कर्मचारी से केद्रीय मंत्री तक का सफर तय कर चुके आरसीपी सिंह ने इस्तीफा देते हुए कहा- “मेरे खिलाफ ये सभी आरोप कुछ लोगों द्वारा एक साजिश के तहत लगाए गए हैं, जो मेरी बढ़ती लोकप्रियता से डरते थे। इस दौरान उन्होंने जेडीयू को डूबता हुआ जहाज करार देते हुए कहा कि जेडीयू में अब क्या रखा है? इसके साथ ही आरसीपी सिंह ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाने का भी संकेत दिया।
आरसीपी सिंह इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। पिछले महीने जुलाई में तेलंगाना में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान जब आरसीपी सिंह पहुंचे तो उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगने लगी। हालांकि बीजेपी ने इस बारे में बयान जारी कर कहा था कि आरसीपी सिंह एक सरकारी कार्यक्रम में भाग लेने तेलंगाना पहुंचे थे।
गौरतलब है कि आरसीपी सिंह के खिलाफ पिछले कुछ समय से पार्टी के भीतर विरोध की आवाज लगातार उठ रही थी। पिछले साल जेडीयू अध्यक्ष रहते हुए आरसीपी सिंह से पार्टी उम्मीद कर रही थी कि वो केंद्रीय नेतृत्व से पार्टी के लिए अधिक सीटों को लेकर बात करेंगे लेकिन आरसीपी सिंह ने उस वक्त केंद्रीय मंत्रिमंडल में खुद के लिए एक बर्थ स्वीकार कर लिया। आरसीपी सिंह के इस फैसले से भी जेडीयू नेताओं में रोष था।
आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद जेडीयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था- मैने आरसीपी सिंह का बयान सुना। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया लेकिन नीतीश कुमार का नाम तक नहीं लिया। इससे साबित होता है कि उन्होंने पार्टी की सहमति के बिना मंत्री पद स्वीकार किया है। दूसरी बार जेडीयू ने आरसीपी सिंह को बीजेपी से बात कर उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए सीट अर्जित करने का काम सौंपा लेकिन वो उसमें भी नाकाम रहे। इससे पार्टी के भीतर उनके खिलाफ आवाज और तेज हो गई।
इस बीच आरसीपी सिंह के भी तेवर बढ़ते गए। पार्टी से राज्यसभा टिकट ना मिलने के बाद उन्होंने अपनी ही पार्टी के उस बयान पर कटाक्ष किया था जिसमें पार्टी ने कहा था कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं। आरसीपी सिंह ने पार्टी की इस टिप्पणी पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि 17 सांसदों के साथ कोई पीएम बनने के सपने कैसे देख सकता है?
आरसीपी सिंह ने पार्टी की तरफ से भ्रष्टाचार को लेकर कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद इस्तीफा दिया है। आरसीपी सिंह पर 2013 से 2022 के बीच 9 सालों में 800 कट्ठा जमीन खरीदने का आरोप है। आरोप है कि इनमें से कई जमीन उनकी आईपीएस बेटी लिपि सिंह के भी नाम है।
Source : Hindustan