मुजफ्फरपुर । निबंधन कार्यालय से किसी रजिस्ट्री की नकल पहले से तीन गुना महंगी हो गई है। पहले जिस नकल का शुल्क ढाई सौ रुपये था, उस का अब सात सौ रुपये चुकाना पड़ेगा। निबंधन विभाग द्वारा जारी आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और नये शुल्क की वसूली सोमवार से शुरू कर दी गई है।
निबंधन कार्यालय में प्रत्येक साल के हिसाब से दस्तावेज खोजने का शुल्क सौ रुपये निर्धारित किया गया है और यह अधिकतम एक हजार रुपये तक हो सकता है। वहीं किसी निबंधन या दस्तावेज की सत्यापित प्रति पाने के लिए पांच सौ रुपये सत्यापन शुल्क व दो सौ रुपये अन्य शुल्क जोड़कर लिया जाएगा। वहीं किसी जमीन के निबंधन के लिए बैंक से लिया जाने वाला अवभार प्रमाणपत्र भी अब महंगा हो गया है।
इसके अनुसार एक से दस वर्ष तक का अवभार प्रमाणपत्र का शुल्क 250 रुपया, 10 से 20 वर्ष तक का पांच सौ रुपया, 20 से 30 वर्ष तक का 750 रुपया व 30 वर्ष से ऊपर का अवभार प्रमाणपत्र का शुल्क एक हजार रुपया जमा करना पड़ेगा।
क्या होता है ऋण अवभार प्रमाणपत्र
कोई व्यक्ति यदि अपनी जमीन को बंधक रख बैंक से लोन लेना चाहता है तो बैंक उस जमीन की जांच-पड़ताल करता है। इसके लिए वह जमीन का संपूर्ण ब्योरा दर्ज कर निबंधन कार्यालय को भेजता है और जांच करवाता है कि उक्त जमीन की खरीद-बिक्री की गई है या नहीं और यह जमीन वास्तव में उसी व्यक्ति के नाम से दर्ज है, जो लोन लेना चाहता है। इस प्रमाणपत्र को ही ऋण अवभार प्रमाणपत्र कहते हैं, जो निबंधन कार्यालय बैंक के माध्यम से उपभोक्ता के लिए जारी करता है।
Source : Hindustan