वैशाली: गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और जैव विविधता को संरक्षित करने के उद्देश्य से 4.20 लाख मछली के बच्चों (फिंगरलिंग्स) का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया। यह कार्यक्रम वैशाली जिले के विदुपुर प्रखंड स्थित चेचर घाट पर आयोजित किया गया।

नदी पुनर्वास कार्यक्रम के तहत यह पहल गंगा नदी प्रणाली को सुदृढ़ बनाने और जल जीवों के लिए बेहतर आवास उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना का उद्देश्य मछली प्रजातियों की संख्या बढ़ाना और जल संसाधनों को पुनर्जीवित करना है।

विशेषज्ञों के अनुसार, गंगा नदी जैव विविधता का एक प्रमुख केंद्र है, लेकिन प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण इसका पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है। इस पुनर्वास कार्यक्रम से मछली प्रजातियों के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय मछुआरों के लिए भी यह लाभदायक सिद्ध होगा।

कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में मछली के बच्चे नदी में छोड़े गए, ताकि गंगा के जलीय जीवन को संतुलित किया जा सके और सतत विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इस तरह के प्रयास जल संसाधनों के संरक्षण और पुनर्जीवन की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं।

क्या है नदी पुनर्वास कार्यक्रम?

यह कार्यक्रम गंगा नदी प्रणाली में मछली प्रजातियों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। इस पहल से न केवल जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह नदी में प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में सहायक साबित होगा।

स्थानीय प्रशासन और विशेषज्ञों ने इस कार्यक्रम की सराहना की है और इसे प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है।

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