मुजफ्फरपुर : हादसे या आपदा से मौत के बाद आश्रितों को राहत अनुदान का चेक देने पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दिया है। आश्रित के खाते में अब आरटीजीएस के माध्यम से मुआवजे के चार लाख रुपये भेजे जाएंगे। जिला प्रशासन ने यह नई व्यवस्था चेक बाउंस को लेकर उठे सवालों के बाद किया है। राहत अनुदान देने की पुरानी व्यवस्था को बदल दिया गया है।

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आपदा के मारे कई परिवारों को मिले मुआवजे का चेक लगातार बैंकों में बाउंस कर रहा है। पीड़ित परिवार वर्षों से दफ्तारों का चक्कर काट बेदम हैं जिनकी पीड़ा को आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने प्रमुखता से उठाया। यह बात जगजाहिर हुई कि हादसे या आपदे की घड़ी में जनाक्रोश को रोकने के लिए सीओ चेक काट आश्रितों को थमा देते हैं और तब वे ये भी नहीं देखते कि आवंटन है कि नहीं। इस पर जिला प्रशासन के अधिकारियों की नींद खुली। आपदा प्रबंधन विभाग के अपर समाहर्ता ने अब सीओ को चेक काटने से मना कर दिया है। विभागीय अनुमान के अनुसार जिले में आवंटन बिना अनुदान के करीब दो सौ चेक काट दिये गये हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग के अपर समाहर्ता डॉ.अजय कुमार ने कहा कि बवाल शांत करने मात्र के लिए चेक काटने देने की परिपाटी को रोकने का आदेश दिया गया है। पीड़ित परिवार को सांत्वना के लिए तत्काल लिखित आश्वासन दिया जा सकता है। आश्रित को अनुदान भुगतान की प्रक्रिया भी बदली गई है। यह व्यवस्था की जा रही है कि पीड़ित परिवार को आवंटन मिलते ही राशि बैंक खाते में आरटीजीएस के माध्यम से दी जाए।

भुगतान की अनुशंसा तुरंत की जाएगी

अपर समाहर्ता ने बताया कि आपदा की प्रत्येक घटना पर आवंटन नहीं मांगा जा सकता, इसलिए राशि विमुक्त होने में देर होती है। अब घटना घटित होने के बाद अभिलेख तैयार कर राशि भुगतान की अनुशंसा तुरंत कर दी जाएगी, ताकि आवंटन समय पर मिले। उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार के खाते में राशि आरटीजीएस के माध्यम से चली जाए।

Source : Hindustan

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