दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव द्वारा ‘रूह अफज़ा’ को लेकर दिए गए विवादित बयान पर मंगलवार को सख्त रुख अपनाते हुए कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने इस टिप्पणी को “अक्षम्य और सामाजिक चेतना को झकझोरने वाला” करार दिया और कहा कि ऐसा बयान किसी भी दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं है।

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जब उन्होंने वीडियो देखा, तो उन्हें अपनी आंखों और कानों पर भरोसा नहीं हुआ। कोर्ट ने इस बयान को बेहद आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि यह समाज में विभाजन फैलाने वाला है।

दरअसल, यह याचिका हमदर्द लैबोरेट्रीज की ओर से दाखिल की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बाबा रामदेव ने उनके उत्पाद रूह अफज़ा को लेकर ऐसा बयान दिया जो न सिर्फ ब्रांड की छवि को नुकसान पहुंचाता है बल्कि धार्मिक सौहार्द को भी प्रभावित करता है।

दोपहर 12 बजे दोबारा सुनवाई में बाबा रामदेव के वकील ने नरमी दिखाते हुए कहा कि उन्होंने वीडियो हटाने की सलाह दी है और प्रक्रिया जारी है। इस पर अदालत ने निर्देश दिया कि इस आशय का हलफनामा दायर किया जाए, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख हो कि भविष्य में ऐसा कोई बयान, विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट जारी नहीं किया जाएगा।

वकीलों के बीच इस बात पर भी बहस हुई कि हलफनामे में किन बिंदुओं को शामिल किया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि 5 दिनों के भीतर हलफनामा प्रस्तुत किया जाए। अगली सुनवाई 1 मई को तय की गई है।

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