बिहार में पिछले महीने पुलों के ढहने की घटनाओं के बाद नीतीश सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। हाल ही में 3-4 जुलाई को सीवान और सारण जिलों में गंडकी और छाड़ी नदियों पर बने छह पुल और पुलिया बह गए थे। इस घटना के बाद सरकार ने इन पुलों के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी पुल निर्माण निगम को सौंप दी है। इन पुलों के निर्माण में 23.93 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जिसे संबंधित ठेकेदारों से वसूला जाएगा।
जल संसाधन विभाग ने पुलों की मरम्मत के लिए ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की है। गंडक-छाड़ी-गंडकी-माही-गंगा नदी जोड़ योजना के तहत बने पुलों की मरम्मत का खर्च ठेकेदार से ही वसूला जाएगा। इसके अतिरिक्त, ठेकेदार को आगामी निविदाओं में भाग लेने से वंचित कर दिया गया है और उसकी किसी भी अन्य भुगतान को रोक दिया गया है।
इससे पहले, पुल हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नीतीश सरकार ने 11 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया था। राज्य में बारिश और बाढ़ के कारण पिछले 25 दिनों में 10 से अधिक पुल ध्वस्त हो गए थे। इन पुलों का निर्माण गंगा और गंडक नदी जोड़ो परियोजना के तहत किया गया था।
नीतीश सरकार ने अब पुलों के रखरखाव के लिए एक नई नीति लागू की है। इस नीति के तहत, पुलों का हेल्थ कार्ड तैयार किया जाएगा और उनके रखरखाव के लिए विशेष विभाग का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलों की नियमित जांच की आवश्यकता पर जोर दिया है और रेलवे की तरह पुलों के लिए एक अलग विंग बनाने की बात की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कें टूटने से यातायात में कठिनाई हो सकती है, लेकिन पुलों के ढहने से गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसीलिए, पुलों का उचित रखरखाव और नियमित जांच बेहद जरूरी है।