मोदी जी हम आपके छवि पर वोट तो दे दे मगर आपका अगर सांसद प्रत्याशी राहुल गांधी जैसा हो, जो हमे पसंद नही तो,हम क्या करे?

क्या आपके नाम पर लोकतंत्र की हत्या कर दे। अगर आप ही के नाम पर वोट देना है, तो फिर ये सांसद वाला पद ही हटा दिया जाए, जो जनता के पैसो से लाखों का वेतन सिर्फ दुकान उद्घाटन के लिए पाता हो।

ऐसे भी ये आपके बकलोल सांसद अपने स्तर से करते क्या है। आपके द्वारा लागु योजना का गीत गाते है और ऐसे भी आपके योजना का कार्यान्वन तो कार्यपालिका ही करती है।

कभी इनसे पूछिये की आपके योजना का गीत गाने के अलावा अपने स्तर से क्या किया है इन्होंने। गीत भी तो ये लोग सही से नही ही गा पाते है।

अगर हमारी जिम्मेदारी आप जैसे लोगो के नाम पर वोट देना है तो आपकी भी जिम्मेदारी बनती है कि 90 करोड़ वोटर में से या 10 करोड़ बीजेपी कार्यकर्त्ता में से ऐसे उम्मीदवार को टिकट दे जो आपकी तरह ही खुद सशक्त और संसद में लोगो की आवाज उठा सके।

क्या इन सांसदों को पता भी होता है कि उनका काम क्या है।क्या ये 5 साल अपने कितनी समस्याओं को आपके पास या संसद में रख पाते है। आखिर संविधान इन पदों का प्रावधान क्यो है पूछिये इनसे कभी टिकट देने से पहले।ये आपकी ही जिमेवारी है मोदी जी।

नहीं तो हटाइये ऐसे लोगों को, बहुत लोग खड़े है लाइन में इन सवालो का जबाब देने के लिये।

अगर आप ढूढेंगे तो जरूर मिलेगा।आपके पास 10 करोड़ कार्यकर्ता है, जिसमे हजारों ऐसे लोग है जो शिक्षित भी है, समाजसेवी भी है और योगी जैसे समर्पित युवा भी, जो देश के लिए अपना तन, मन, और धन देकर जीवन कुर्बान कर सकते है। क्यों नही आप वैसे लोगो को टिकट दे।

क्यों नही वैसे लोगो को मौका देते है मोदी जी। आखिर लोगो ने इस गन्दी राजनीति का सुधार करने के लिए ही न आप पर भरोशा जताया था। आखिर कब होगा ये सब, आखिर कब?

मोदी जी सुन लीजिये अगर आपने इस बार सही उम्मीदवार का चयन कर अपनी लोकतान्त्रिक जिम्मेवारी को नहीं निभाये तो, हमें बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाने आता है।

इस बार आपके नाम पर हम ऐरू गैरु नत्थू खैरू को वोट देकर अपने लोकतंत्र की हत्या नही करेंगे।

अगर हमें आप पर भरोशा है तो आपकी भी जिम्मेवारी बनती है कि उस भीड़ से उम्मीदवार का चयन करे, जहाँ प्रतिभाशाली लोग इंतेजार में खड़े है।

एक मोदी और एक राहुल से देश का भाग्य तय नही होता मोदी जी। फर्क पड़ता है 543 मोदी और राहुल से।

आपने बड़े बड़े फैसले लिये है, क्यों न एक बार आप अपने उम्मीदवार के चयन में बड़ा फैसला ले। ताकि जनता इस असमंजस में न पड़े की व्यक्ति को वोट दे या पार्टी को।

अंत में इतना ही की हमारे हाथों लोकतंत्र की हत्या न हो। इससे बचा लीजिए मोदी जी हमको।

साभार : संत राज बिहारी

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