बिहार से महागठबंधन की अगुआई करने वाले राजद व उसके सहयोगी हम, रालोसपा का सूपड़ा साफ हो गया। केवल कांग्रेस ने एक सीट से अपनी प्रतिष्ठा बचाई। चुनाव समापन पर अपने आवास पर जीत-हार की समीक्षा में जुटे राजद के वरीय उपाध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि राजद के साथ उसके पारंपरिक वोटर यानी माई तो रहा लेकिन बाकी सहयोगी तमाम जातियां जिसे ‘पचफोरना’ कहते है वह अलग हो गई। इसका पूरा असर उनके वैशाली सहित दूसरे सीट पर देखने को मिला।

महागठबंधन समय पर नहीं होना, सीट का वितरण व चुनाव में समन्वय नहीं होना भी हार का बड़ा कारण है। जबकि भाजपा गठबंधन के नेता व कार्यकर्ता के बीच बेहतर समन्वय, समय पर निर्णय व प्रचार प्रसार ज्यादा खर्च कर जनता को राष्ट्रवाद के नाम पर गुमराह करके बेहतर प्रदर्शन दिखा। बहुत जल्द हार पर मंथन होगा और जनता के सवाल पर संघर्ष करके फिर आने वाला चुनाव महागठबंधन जीतेगा।

पार्टी-प्रत्याशी पीछे मोदी आगे

चुनाव केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर हुआ। पार्टी व प्रत्याशी पीछे मोदी रहे आगे। इसलिए इस बार ‘मगरू-ढ़ोराई’ यानी बिना जनाधार बिना पहचान वाले लोग एनडीए के सिंबल मिला व जीत गए। एक व्यक्ति के नाम पर चुनाव हुआ पार्टी का आधार कुछ नहीं रहा। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। तानाशाही बढ़ेगा।

एक दल, एक चिन्ह हो

एक दल व एक सिंबल यानी चुनाव चिन्ह का फार्मूला उन्होंने दिया उसको लोगों ने नकार दिया। उसका परिणाम तो सामने है। बिहार में राजद के सिम्बल पर सभी एक साथ लड़े तो जनता भ्रमित नहीं होगी और पूरा समर्थन मिलेगा। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का जेल में रहना भी नुकसान कर गया।

Input : Dainik Jagran

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