प्रेमी जोड़ों का महीना फरवरी और उसमें भी प्रेम का सप्ताह आज से शुरू हो गया है। आज रोज डे है और इस सप्ताह के पहले दिन प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे को गुलाब का फूल देते हैं। गुलाब की महक बाजार में फैली हुई है। वैसे तो फूल प्रेम का प्रतिक होता है लेकिन गुलाब सबका बादशाह है। प्यार का इजहार करना हो या फिर प्रेम की याद के रूप में किताबों में उसे संजों कर रखा जाए। गुलाब के फूल का कोई जोड़ नहीं है। आइये आपको बताते है कि मध्य एशिया की घाटियों में पैदा हुआ गुलाब कैसे पहुंचा भारत में।

गुलाब आज से 3 लाख साल पहले से धरती पर है। हालाँकि इसकी खेती 5 हज़ार साल पहले चीन में शुरू हुई थी। यह रोमन साम्राज्य होते हुए अफगानिस्तान और वहां से भारत आया। आपको हैरानी होगी की प्रेम का रंग जिसे नाम दिया गया वह गुलाब भारत में जंग के द्वारा पहुंचा। बाबर ने भारतीयों को प्यार के तोहफे के रूप में गुलाब दिया था। ‘बाबरनामा’ के मुताबिक मुग़ल बादशाह बाबर को गुलाब इतना पसंद था कि उसने अपनी बेटियों के नाम भी इसी पर रखे जो गुलरंग, गुलचेहरा, गुलबदन और गुलरुख थे। बाबर की बेटी गुलबदन बेगम ने ही हुमायूंनामा लिखा था।

कहा जाता है कि बाबर कई ऊंटों पर गुलाब लादकर भारत आया था। उसने दिल्ली, आगरा, कश्मीर समेत कई जगहों पर गुलाब के बाग़ बनवाएं। अभी के समय की बात करे तो पूरी दुनिया में फ्लावर इंडस्ट्री 3 लाख करोड़ रुपए के पार जा चुकी है। इसमें भारत में फूलों का काराेबार 23 हजार करोड़ रुपए से अधिक का है। वैलेंटाइन डे पर गुलाब के फूलों की बिक्री में 30 प्रतिशत का इजाफा होता है। गुलाब अलग-अलग रंगों के होते हैं और सबका प्रतिक भी अलग होता है। जैसे लाल गुलाब प्रेम के इजहार का प्रतीक है और गुलाबी गुलाब प्यार की गहराई का , सफ़ेद गुलाब शांति का तो पीला गुलाब दोस्ती का प्रतीक होता है। हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को भी गुलाब का फूल बेहद पसंद था।

Sharda Heritage- Marriage Hall , Banquet Hall Muzaffarpur

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