केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों (New Agriculture Laws 2020) के विरोध में किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को हटाने संबंधी याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस. ए. बोबड़े, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस रामासुब्रमणियन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम आज कानूनों की वैधता पर कोई निर्णय नहीं लेंगे, हम केवल विरोध के अधिकार और देश में कहीं भी मुक्त आवाजाही के अधिकार पर निर्णय लेंगे.
पीठ ने कहा कि अगर किसान और सरकार वार्ता करें तो विरोध-प्रदर्शन का उद्देश्य पूरा हो सकता है और हम इसकी व्यवस्था कराना चाहते हैं. कोर्ट ने कहा कि हम किसानों के विरोध-प्रदर्शन के अधिकार को सही ठहराते हैं, लेकिन विरोध अहिंसक होना चाहिए. अदालत ने कहा कि हम कृषि कानूनों पर बने गतिरोध का समाधान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों और किसान संघों के निष्पक्ष और स्वतंत्र पैनल के गठन पर विचार कर रहे हैं.
यहां पढ़ें किसानों के प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से जुड़ी 20 खास बातें
सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई अभी टल गई है. अदालत में किसी किसान संगठन के ना होने के कारण कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वो किसानों से बात करके ही अपना फैसला सुनाएंगे. आगे इस मामले की सुनवाई दूसरी बेंच करेगी. सुप्रीम कोर्ट में सर्दियों की छुट्टी है, ऐसे में वैकेशन बेंच ही इसकी सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की जाने वाली संभावित कमेटी में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और दूसरे संगठनों को बतौर सदस्य शामिल किया जा सकता है. कमेटी जो रिपोर्ट दे, उसे मानना चाहिए. तब तक प्रदर्शन जारी रख सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश ने कहा कि दिल्ली को ब्लॉक करने से यहां के लोग भूखे रह सकते हैं. आपका (किसानों) मकसद बात करके पूरा हो सकता है. सिर्फ विरोध प्रदर्शन पर बैठने से कोई फायदा नहीं होगा.
CJI ने कहा कि हम सब पक्षकारों को सुनने के बाद ही आदेश जारी करेंगे. कोर्ट ने कहा कि हम किसान संगठनों को सुन कर आदेश जारी करेंगे. वैकेशन बेंच में मामले की सुनवाई होगी. SG ने कहा कि शनिवार को मामले की सुनवाई कर लें.
CJI का कहना है कि किसानों को बड़ी संख्या में दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं, यह पुलिस का फैसला होगा, न अदालत का और न कि सरकार का जिसका आप विरोध कर रहे हैं.
CJI ने BHU ( भानु ) के वकील से कहा – हम आपको ( किसानों को) प्रदर्शन से नहीं रोक रहे हैं, आप प्रदर्शन करिए. लेकिन प्रदर्शन का एक मक़सद होता है आप सिर्फ धरना पर नहीं बैठक सकते है, बातचीत भी करनी चाहिए. बातचीत के लिए आगे आना चाहिए. हमें भी किसानों से हमदर्दी है. हम केवल यह चाहते हैं कि कोई सर्वमान्य समाधान निकले. हम आपको ( किसानों को) प्रदर्शन से नहीं रोक रहे हैं, आप प्रदर्शन करिए. लेकिन प्रदर्शन का एक मक़सद होता है आप सिर्फ धरना पर नहीं बैठक सकते है, बातचीत भी करनी चाहिए. बातचीत के लिए आगे आना चाहिए.
CJI ने याचिकाकर्ता से पूछा आपने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी किसको किसको दी? याचिकाकर्ता ने कहा भारतीय किसान यूनियन, टिकैत आदि को दिया. CJI ने पूछा क्या किसान संगठनों के आज सुनवाई में शामिल न होने पर भी हम कमिटी का गठन कर दे?
CJI ने कहा कि जो लोग प्रदर्शन के लिए राम लीला मैदान जायेंगे वो शांति रखेगे या नहीं ये नहीं कह सकते. साल 1989 में एक प्रदर्शन हुए था महाराष्ट्र किसानों का जो बाद व्यापक था. उस प्रदर्शन मैं इतने लोग थे कुछ भी हो सकता था.
CJI ने कहा कि दिल्ली को ब्लॉक करने से दिल्ली के लोग भूखे हो जाएंगे. आपका उद्देश्य तब तक पूरा नही होगा जब तक बातचीत न हो. अगर ऐसा नही हुआ तो आप सालों तक प्रदर्शन पर बैठे रहेंगे लेकिन कोई नतीजा नही निकलेगा.
CJI ने कहा कि कोर्ट इस तरह के मॉब को कंट्रोल नही कर सकती. ये लॉ ऑर्डर/पुलिस पर छोड़ देना चहिए. किसी का अधिकार किसी दूसरे के अधिकारों का हनन नही कर सकता. CJI ने पूछा कि हम जानना चाहते है कि इतनी बड़ी भीड़ अगर शहर में आना चाहती है तो किसी तरह का नुकसान नहीं होगा?
पंजाब सरकार की तरफ से पी चिदंबरम पेश हुए.चिदंबरम ने कहा कि पंजाब सरकार को कोई आपत्ति नहीं है अगर कोर्ट कमिटी के गठन करती है. वहीं चिदंबरम ने कहा कि रास्ता किसानों ने नही पुलिस ने रोका है. किसान केवल दिल्ली में आना चाहते है. कमिटी को पंजाब सरकार हर संभव मदद करेगी.
CJI ने पूछा क्या ये सही है कि वो अगर एक रास्ते पर बैठे है तो पूरा शहर प्रभावित हो रहा है? इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उन्होंने बॉडर को बंद कर रखा है. फिर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि टिकरी, सिंघु बॉडर को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया गया है.
CJI ने कहा कि हमें कल पता चला कि सरकार बातचीत कर इस मामले का हल नही निकाल पा रही है. इस पर AG ने कहा कि वो इस लिए क्योंकि संगठन जिद्द पर अड़े है. AG ने कहा कि जो किसानों ने रास्ता ब्लॉक किया है उसे हटाया जाए ताकि लोगो को फ्री मूवमेंट का रास्ता मिले.
CJI ने कहा कि हम सोच रहे है एक कमिटी बनाए जाएं. जिसमें स्वतंत्र लोग हो. कमिटी के लोग अपनी रिपोर्ट दे बातचीत कर. इस बात को भी ध्यान रखे कि पुलिस हिंसा न करें. प्रदर्शन चलता रहे लेकिन रास्ता जाम कर के नही.
CJI- हम मामले का आज ही निपटारा नहीं कर रहे. बस देखना है कि विरोध भी चलता रहे और लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन न हो. उनका जीवन भी बिना बाधा के चले. CJI ने कहा कि प्रदर्शन का एक गोल होता है,सरकार और किसानों के बीच बातचीत होनी चाहिए.. CJI ने कहा कि इस लिए हम कमिटी के गठन के बारे में सोच रहे हैं.
CJI ने कहा कि हम प्रदर्शन को नही रोक रहे है. इस लिए कमिटी के गठन करना चाहते है कि सभी पक्ष अपनी बात रहे. CJI लेकिन ये भी सुनिश्चित करना चाहते है कि किसी भी नागरिक के अधिकारों का हनन न हो. न ही कोई हिंसा हो. प्रदर्शन का एक गोल होता है जो बिना हिंसा के अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है.आजादी के समय से देश इस बात का साक्षी रहा है.
CJI ने कहा कि किसानो के प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन कैसे ये सवाल है. CJI ने कहा कि हमें ये देखना होगा कि किसान अपना प्रदर्शन भी करे और लोगों के राइट्स का उल्लंघन न हो. CJI ने कहा कि हम “राइट टू प्रोटेस्ट” के अधिकार में कटौती नही कर सकते. CJI ने कहा कि हम ये भी नही कह सकते कि आप प्रदर्शन के पहले एक तय रकम जमा करें.
CJI ने कहा कि हमने क़ानून के खिलाफ प्रदर्शन के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी है, उस अधिकार में कटौती का कोई सवाल नहीं ,बशर्ते वो किसी और की ज़िंदगी को प्रभावित न कर रहा हो। साल्वे का जवाब – कोई भी अधिकार अपने आप में असीमित नहीं।अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार भी सीमाएं है.
सुनवाई के दौरान वकील हरीश साल्वे ने कहा की ज्यादातर लोग एनसीआर मैं रहते है उनको काम करने के लिए दिल्ली आना होता है. आप सरकार को झुकाने के लिए उन्हें परेशान कर रहे है. साल्वे ने कहा कि अगर कोई पब्लिक संपति को नुकसान पहुँचता है तो डेमेज उससे वसूला जाए. सरकार उन लीडर्स से संपर्क करे और सुनिश्चित करे कि अगर कोई घटना होती है तो वसूली उनसे की जाए. वकील साल्वे ने कहा कि आज लोगों का रोजगार छिन रहा है. अपने काम के लिए पड़ोसी शहर में नहीं जा पा रहे.
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि संगठन हां या ना पर अड़े हैं. इसलिए कमिटी के लोगों को आप कहिएगा की नियम दर नियम बात करें. AG ने कहा कि COVID को लेकर एक महत्वपूर्ण चिंता है. यहां तक कि खुद बिना मास्क या सोशल डिस्टेंसिंग के इस तरह का विरोध प्रदर्शन जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
Source : News18