विधि का विधान जान हानी- लाभ सहिये, जाहि विधि रखें राम ताहि विधि रिहिए, भगवान ने मनुष्य के मन को बहुत चंचल बनाया है और जिसने इस चंचल मन पर काबू पा लिया उसने ईश्वर को पा लिया वो कहते है ना- राम नाम की लूट- लूट सके तो लूट, अंतकाल पछताने से होगा क्या जब प्राण जायेगा छूट.

आज मनुष्य जीवन पर ऐसा संकट आया है कि ये संकट सब तबाह कर सकता है, आपका घर परिवार या पूरा संसार लेकिन हम जीवन के भागा दौड़ी में सबसे जरूरी काम भूल गए, जिस मुख्य काम के लिये मनुष्य का मुख्य प्रयोजन है उसी काम को भूल गए हम प्रभु श्री राम को भूल गये, हम मनुष्य ये समझते है कि जीवन में ही सब सुख भोगना है परन्तु उस वक़्त का क्या जो आपके मौत के बाद आयेगा, हमारे शास्त्रों में भी स्वर्ग और नरक का उल्लेख है, आज के मद में अभिमान में चूर होकर हम ये भूल गए है कि हम मृत्यु के बाद किस लोक में जायेगे, ठहरिए आपके आज के कर्म ही आपके कल को निर्धारित करेगा.

धन के लोभ में छल- कपट- इर्ष्या को मन में पोषण करने वाले तुम्हारे लिये बहुत विकट परिस्थितिया आने वाली है, तुम अपने जिस पुत्र से प्रेम करते हो शायद तुम्हारा पुत्र तुम्हारे कर्मो की सज़ा इसी जीवन मे भोग ले, आपके संतान आपके शरीर के ही अंश है तो आपके सोच विचार क्रिया कलाप का प्रभाव आपके संतान पर ना हो ऐसा कहा संभव है, संतान ही असली सम्पति है और राम मार्ग पर चले बिना आप धन तो पा सकते है लेकिन ना आपको मानसिक सुख मिलेगा ना ही आपके जीवन का उद्देश्य पूरा होगा,और ना ही आपके संतान को समृद्धि मिलेगी, ख़ैर हम दुनियावी मद में पागल है हमारे नजरों में ये सारी बातें आध्यात्मिक ढकोसला हो सकती है लेकिन यक़ीन मानिये प्रभु राम ही सिर्फ सत्य है, किसी मुर्दे के अरथी को तो हम सबने देखा होगा, वो लाश भी कभी सजीव होगा लेकिन अब वो अंतिम गत की ओर है, अब उसके पुण्य- पाप का हिसाब होना है, उसके कर्मो के परिणाम की घोषना होनी है, उसके शवयात्रा में जो लोग चल रहे है उनका भी यहीं गत होना है. यही विधि का विधान है.

इश्वर को कल के भय में याद नही कीजिये ईश्वर को आज के सुख में ध्यान कीजिये, मन मे राम रखिये, कर्मो में राम रखिये, पता ना कौन सा अध्यया आपके जीवन का आख़री अध्यया हो.

अपने मन को बांधना बहुत जरूरी है यहीं असल ज्ञान है, यहीं जीवन का वास्तविक परिचय है अगर आप किसी और का बुरा चाहते है तो ईश्वर आपका बुरा कभी भी कर सकता है, किसी और के काम में विघ्न बाधक बनते है तो आप अपने सुखी कल के रास्ते मे बाधक है, ध्यान रहे जो नोट आप गिन रहे है वो असली सुख नहीं है…. जीवन भर दौड़ते रहिये जिस दिन गिर जाएंगे, आपको हरि चरणों में जगह नहीं मिलेंगी, इसलिए कहते है- सीताराम सीताराम सीताराम कहिये,जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये.

 

Abhishek Ranjan Garg

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...