मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) या ‘चमकी बुखार’ से अबतक 91 बच्चों की मौत हो चुकी है. मासूम बच्चों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
बच्चों की हर एक घंटे में मौत हो रही है और डॉक्टरों की बहुत कमी है. एसकेएमसी अस्पताल में लापरवाही देखने को मिली, जहां पर मरीजों के लिए बेड और दवाइयों की भी काफी कमी है.
अस्पताल की हालत इतनी खराब है कि परिजनों को अपने बच्चे के शव को ले जाने के लिए भी काफी मशक्क्त करनी पड़ रही है. एक व्यक्ति जो कि अपने पड़ोसी की मदद के लिए अस्पताल पहुंचा उसने संवाददाता को बताया कि वे डेढ़ घंटे से बच्चे का शव अस्पताल के बाहर रखा हुआ है, लेकिन अधिकारी आएंगे तो कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद ही शव को उन्हें सौंपा जाएगा.
परिजन इतने लाचार हैं कि बिना अधिकारी द्वारा की जाने वाली कागजी कार्रवाई के अपने मासूम बच्चे का शव भी अस्पताल से नहीं ले जा सकते. अस्पताल में हर एक घंटे में एक बच्चे की मौत हो रही है. अस्पताल का नजारा बहुत ही दुख देने वाला है और हर तरफ बस मातम पसरा हुआ है.
Input : To Bharatvarsh