मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एसकेएमसीएच में 62 करोड़ की लागत से बन रही सौ बेड की शिशु गहन चिकित्सा इकाई (पीकू) आठ माह यानि अप्रैल में बन कर तैयार हो जायेगी. अगले साल फिर बच्चे एइएस या चमकी बुखार से पीड़ित हुए तो इलाज में कोई दिक्कत नहीं होगी. मंगलवार को वह एसकेएमसीएच परिसर में 105 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करने पहुंचे थे.

सीएम ने कहा कि पर्यावरण में परिवर्तन के कारण बीमारी हो रही है. इस पर अनुसंधान हो रहा है. चार साल पूर्व एक्सर्ट डॉक्टरों की टीम ने बैठक की थी, लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए बच्चाें के बीच जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है. इसमें सामाजिक स्तर पर काम करना होगा. उन्होंने उपस्थित जनप्रतिनिधियों के साथ सभी से जागरूकता अभियान में मदद करने की अपील की.

उन्होंने कहा कि जून में बच्चों को देखने वह एसकेएमसीएच आये थे. उस समय मात्र 14 बेड का पीकू था. आनन-फानन में कैदी वार्ड को खाली कर 65 बेड का पीकू तैयार किया गया था. इस काम में एसकेएमसीएच के डॉक्टरों की तारीफ की जानी चाहिए, जिनके कारण कई बच्चों की जान बच पायी. इसके बाद जिले में सामाजिक व आर्थिक सर्वे कराया गया.

इस बीमारी से पांच प्रखंड ज्यादा प्रभावित नजर आये, जिनमें बच्चियों की संख्या अधिक थी. कार्यक्रम के दौरान डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, स्वास्थय मंत्री मंगल पांडेय, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा, कला व संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार, सांसद अजय निषाद, वीणा देवी, विधायक अशोक सिंह, बेबी कुमारी, स्वास्थय विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार सहित कई अन्य उपस्थित थे.

सीएम ने कहा कि एसकेएमसीएच अब 2500 बेड का अस्पताल होगा. उत्तर बिहार के कई जिलों से यहां मरीज आते हैं. 682.99 करोड़ रुपये की लागत से छह तल का यहां पर 1500 बेड के अस्पताल का निर्माण होना है. इसके साथ ही एसकेएमसीएच व अस्पताल के वर्तमान भवन का भी 27 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार होगा।

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Input : Prabhat Khabar

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