आपराधिक मामलों की जांच व पर्यवेक्षण को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक से लेकर थानेदार तक की जिम्मेदारी तय कर दी गयी है। यह जिम्मेदारी पुलिस हस्तक (पुलिस मैनुअल) के अनुसार तय की गयी है। बिहार के पुलिस महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी ने सोमवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया। इसे तत्काल पूरे राज्य में लागू कर दिया गया है। इसका मकसद केसों की जांच में पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण को सुदृढ़ करना है।

राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने सोमवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बिहार पुलिस हस्तक, 1978 में केसों के अन्वेषण (जांच) को नियंत्रित करने वाले पुलिस पदाधिकारियों का वर्गीकरण है। अन्वेषण नियंत्रण से तात्पर्य केस के पर्यवेक्षण, प्रगति की समीक्षा एवं निगरानी के बाद अंतिम आदेश पारित करने से है। वर्तमान में केसों के अन्वेषण को निर्धारित चार श्रेणी के पदाधिकारियों की जगह मात्र दो श्रेणी के पदाधिकारियों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। इसीलिए केसों के पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण की व्यवस्था की समीक्षा कर यह आदेश जारी किया गया है। सभी विशेष केसों की जांच एवं नियंत्रण एवं अंतिम रिपोर्ट तक की जिम्मेदारी एसपी निभाएंगे। इनमें से कुछ विशेष मामलों की जांच एसपी अपने स्तर से डीएसपी को सौंपेंगे।

इसके अतिरिक्त अविशेष केसों के अनुसंधान एवं नियंत्रण की जिम्मेदारी एसपी के अतिरिक्त डीएसपी, इंस्पेक्टर व थानाध्यक्ष को भी सौंपी गयी है। विशेष कांडों में अंतरजिला, अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय प्रकृति के मामले, संगठित गिरोह की संलिप्तता, पेशेवर प्रकृति, महिला, बालक एवं कमजोर वर्गों पर गंभीर अत्याचार से जुड़े मामले, विधि-व्यवस्था को प्रभावित करने, सामाजिक समरसता भंग करने या गंभीर आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों को विशेष केस के रूप में चिह्नित किया जाएगा। वहीं, 7 वर्ष से अधिक की सजा वाले अविशेष केस या विशेष अधिनियमों के तहत 3 वर्ष से अधिक सजा वाले केसों की जिम्मेदारी डीएसपी निभाएंगे। इंस्पेक्टर को 3 साल से 7 साल तक की सजा वाले केस या विशेष अधिनियमों के तहत 3 वर्ष तक की सजा वाले मामलों की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। थानाध्यक्ष को साधारण प्रकृति के केसों जिनमें तीन साल से कम की सजा हो, उसकी जिम्मेदारी सौंपी गयी है। थानाध्यक्षों को मामला 10-15 दिनों में निपटाना होगा।

सभी एसपी को नये आदेश का पालन करने का निर्देश

पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार डीजीपी आरएस भट्टी ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की और नये आदेश का पालन सुनिश्चित कराने को कहा। इस बैठक में अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय जेएस गंगवार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

● अपराध से जुड़े विशेष मामले स्वयं पुलिस अधीक्षक देखेंगे

● डीएसपी 7 वर्ष से अधिक की सजा वाले अविशेष केस या विशेष अधिनियमों के तहत 3 वर्ष से अधिक सजा वाले केसों की जिम्मेदारी निभाएंगे

● इंस्पेक्टर को 3 से 7 साल तक की सजा वाले केस या विशेष अधिनियमों के तहत 3 वर्ष तक की सजा वाले मामलों की जिम्मेदारी सौंपी गयी है

● थानाध्यक्ष को साधारण प्रकृति के केसों जिनमें 3 साल से कम की सजा हो, उसकी जिम्मेदारी सौंपी गयी है तथा इसे 15 दिनों में निपटाना होगा

अभी एसपी व इंस्पेक्टर ले रहे कांडों के निबटारे का निर्णय

वर्तमान में सिर्फ एसपी व इंस्पेक्टर दर्ज कांडों के निबटारे संबंधी निर्णय ले रहे हैं, जबकि पुलिस मैनुअल में चार पदाधिकारियों पुलिस अधीक्षक (एसपी), अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (डीएसपी), अंचल निरीक्षक (सर्किल इंस्पेक्टर) एवं थानाध्यक्ष द्वारा केसों का नियंत्रण करने का प्रावधान है। इसका प्रभावकारी पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे केसों की निगरानी एवं जांच में देरी हो रही है।

Source : Hindustan

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