हिमाचल प्रदेश पिछले 50 साल के सबसे भयानक प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। रिकॉर्डतोड़ बारिश के बाद भूस्खलन से पिछले 3-4 दिनों में 70 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो हजारों मकानों को क्षित पहुंची है। करीब 7.5 हजार करोड़ की संपत्ति नष्ट हो गई है। राहत और बचाव कार्य के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने ताश के पत्तों की तरह ढहते मकानों को लेकर बिहारी मजदूरों और राजमिस्त्रियों को दोष दे डाला है।

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में मुख्यमंत्री सिक्खू ने कहा कि निर्माण कार्यों के लिए दूसरे राज्यों से लोग आते हैं और बिना वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किए मंजिल पर मंजिल बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रवासी आर्किटेक्ट (राजमिस्त्री) आते हैं, जिन्हें मैं बिहारी आर्किटेक्ट कहता हूं। वे आए और फ्लोर पर फ्लोर बनाते गए। हमारे यहां स्थानीय मिस्त्री नहीं हैं।’

पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला में इस मॉनसून सीजन में कुदरत ने जमकर कहर बरपाया है। सर्दियों में पर्यटकों से खचाखच भरे रहने वाले शिमला में अत्यधिक बारिश के बाद भूस्खलन की कई घटनाएं हुई हैं। समरहिल में शिवालय पर पहाड़ टूटकर गिर पड़ा तो कृष्णानगर में एक साथ कई मकान मिट्टी में समा गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला में दुरुस्त ड्रेनेज सिस्टम वाला पुराना शहर है। सरकारी इमारतें बिना किसी खतरे के खड़ी हैं। जो मकान गिरे हैं वे इंजीनियरिंग मापदंडों के हिसाब से नहीं बने हुए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘लोग वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किए बिना घर का निर्माण करते हैं। हाल में बनाई गई इमारतों में ड्रेनेज सिस्टम बहुत खराब है। लोग यह जाने बिना पानी को बहाते हैं कि यह कहीं और नहीं बल्कि चोटियों में ही जा रही है जो इसे कमजोर करता है। शिमला डेढ़ सदी पुराना है और इसका ड्रेनेज सिस्टम शानदार है। अब नालों में घर हैं। जो घर गिर रहे हैं वे इंजीनियरिंग के मापदंडों के हिसाब से नहीं बने हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा सचिवालय 9 मंजिला है। समरहिल स्थित हिमाचल यूनिवर्सिटी में अडवांस स्टडी की इमारत 8 मंजिला है। जब इन ढांचों को बनाया गया था तब कोई टेक्नॉलजी नहीं थी। हमने कभी नहीं सुना कि इन इमारतों को खतरा है।’

Source : Hindustan

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