सरथाणा स्थित श्याम मंदिर के पास राधेकृष्णा सोसाइटी में कृष्णा के घर पर पिता-चाचा और सगे-संबंधी बैठे थे। घर में चारों तरफ कृष्णा की बनाई ड्रॉइंग और डिजाइन की हुई कुछ वस्तुएं दिख रही थीं। घर में और बाहर कृष्णा की तस्वीरें रखी थीं। हर किसी की आंखें नम थीं।

पिता ने कहा कि मेरी बेटी हिम्मत वाली थी। वह कभी डरती नहीं थी। मरने से पहले भी मेरे भतीजे को फोन किया था। बेटी किशु ने भाई चेतन से कहा कि भाई मेरा जो होना है वह हो, तुम अंदर फंसे लोगों को बचाओ। उसे अपनी जान से ज्यादा दूसरे लोगों की जान प्यारी थी। नहीं तो ऐसे समय में कोई ऐसा कहता है…?। बेटी ने अपने हाथ से एक साड़ी डिजाइन की थी। उसे अपनी मम्मी को गिफ्ट की थी। मम्मी ने यह साड़ी नए साल पर पहनी थी। मम्मी ने उसी साड़ी को कृष्णा का कफन बना दिया।

कृष्णा भीकड़िया और  ग्रीष्मा गजेरा। (बाएं से)

मां: शायद भगवान को उसकी मुझसे ज्यादा जरूरत थी 
कडोदरा रोड स्थित सरदार पटेल के ग्राउंड फ्लोर की पार्किंग में ग्रीष्मा के घर में प्रवेश करते ही आपको-‘एक बार मरना ही है’, कोई अमर पेटी लेकर नहीं आया, इसलिए किसी को दोष न दें, जल्दी और देर से सभी को जाना ही है’। लिखा मिलेगा। यह वाक्य खुद ग्रीष्मा की मां विलासबेन ने लिखा था। जवान बेटी के इस तरह चले जाने से वह रो-रो कर बेहाल हो रही थीं। उन्होंने कहा- शायद मेरी बेटी की जरूरत मुझसे ज्यादा भगवान को होगी, इसलिए बुला लिया। ग्रीष्मा के बेडरूम की दीवार पर एक अधूरा चित्र चिपकाया था। घटना के एक दिन पहले उसने रात 2 बजे तक इस चित्र पर काम किया था। ग्रीष्मा ने तीन दिन पहले ही एक मूर्ति दी थी। उसे बड़ा चित्रकार बनना था, इसलिए शादी से इनकार करती थी।

मां: वह कहती थी आप चिंता न करो मैं हूं, सब ठीक होगा 
सरथाणा व्रज चौक वेरोना रेसिडेंसी में 17 वर्षीय रूमी रमेश बलर के पिता और परिजन अपार्टमेंट के नीचे बैठे थे। पिता ने बताया कि बेटी पढ़ने में होशियार थी। पेटिंग में पहला नंबर आता था। यद्यपि मेरी घर की स्थिति अच्छी नहीं थी, बावजूद मेरी बेटी ने किसी भी वस्तु के लिए किसी भी दिन जिद नहीं की। ऊपर से कहती थी पापा आप चिंता न करो, मैं हूं। मैं उससे शादी की बात करता तो कहती थी कि मुझे कहीं नहीं जाना। दो-चार साल में अपनी आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी। उसके बाद देखेंगे। दो महीना पहले ही ड्रॉइंग का एग्जीबिशन था। जिसमें बेटी ने अलग-अलग ड्रॉइंग बनाकर एग्जीबिशन में रखा था। जिसमें से बेटी की पांच ड्रॉइंग बिकी थी, जिसे मिले पैसों से पहली बार मोबाइल खरीदा था।

हादसे में 23 की मौत हो चुकी, सात की हालत अब भी गंभीर 

सरथाणा की तक्षशिला आर्केड बिल्डिंग में आग लगने से 22 छात्र-छात्राओं और एक टीचर की मौत हो गई थी। घटना में घायल हुए सात लागों की हालत बेहद गंभीर है। हादसा 24 मई की दोपहर 3:40 बजे शॉर्ट सर्किट की वजह से हुआ था। हादसे के वक्त 60 छात्र-छात्राएं दूसरी और तीसरी मंजिल पर चलने वाली दो आर्ट-हॉबीज क्लासेज में थे। आग लगने से 13 बच्चों ने दूसरी और तीसरी मंजिल से छलांग लगाई। इनमें से तीन की कूदने से मौत हुई थी।

Input : Dainik Bhaskar

 

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