बिहार में सरकारी लोकसेवकों के लिए हर वित्तीय वर्ष के अंत तक अपनी संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत करना अब सख्त अनिवार्यता बन गया है। हालांकि, कई पदाधिकारी और कर्मचारी इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते संपत्ति के ब्योरे में खामियां और अधूरी जानकारी देखी जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने अब ऐसे लोकसेवकों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है।
हाल ही में निगरानी विभाग की समीक्षा बैठक में सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि उनके कर्मियों द्वारा प्रस्तुत किए गए संपत्ति के ब्योरे का सत्यापन तय मानकों के अनुरूप होना चाहिए। यह नियम बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली, 1976 के प्रावधानों के अंतर्गत तय किया गया है।
यदि कोई कर्मचारी समय पर अपनी संपत्ति का विवरण प्रस्तुत नहीं करता है, तो इसे सरकारी कर्तव्यों के पालन में गंभीर लापरवाही माना जाएगा, जिसके लिए विभागीय कार्रवाई शुरू की जा सकती है। यह निर्देश जून 2021 में तत्कालीन मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण द्वारा जारी विस्तृत दिशा-निर्देश के आधार पर दिए गए हैं।
प्रत्येक लोकसेवक को पहली नियुक्ति से लेकर हर वर्ष 31 दिसंबर के बाद फरवरी के अंत तक अपनी संपत्ति का ब्योरा जमा करना होता है, जिसमें उसकी स्वामित्व वाली, अर्जित या विरासत में प्राप्त सभी संपत्तियों की जानकारी शामिल होनी चाहिए।