सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था पर रोक लगाने से चुनाव आयोग ने इनकार कर दिया है. इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अब केस की अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि इस केस की सुनवाई संवैधानिक बेंच के सामने की जाए क्योंकि यह बुनियादी ढांचे का मामला है. इस पर कोर्ट ने सभी पक्षों से लिखित में यह मांग रखने को कहा.

नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने इसी साल (2019) 7 जनवरी को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था. अलग से आरक्षण की यह व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान में संशोधन किया गया. 9 जनवरी को संशोधित बिल राज्यसभा में लंबी बहस के बाद पारित हो गया और अगले ही दिन लोकसभा से भी इस बिल को मंजूरी मिल गई.

संसद के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद 12 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उस पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसके साथ ही यह व्यवस्था लागू हो गई. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के इस कदम का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत लगभग सभी दलों ने संसद में समर्थन किया. जबकि लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी, असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और तमिलनाडु की AIADMK ने इसका विरोध किया था.

समर्थन करने वाले दलों ने भी उठाए थे सवाल

बिल का समर्थन करने के बावजूद कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए थे. बिल का विरोध करने वालों ने सुप्रीम कोर्ट में इस व्यवस्था के खत्म हो जाने का हवाला दिया गया था. अब जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने 10 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया. अब मामले की सुनवाई संवैधानिक बेंच के सामने कराने की मांग पर कोर्ट ने पक्षों में लिखित में अपील मांगी है. मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी.

Input : Ajj Tak

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