मंगलवार, 2 जुलाई को आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि है, इस तिथि पर सूर्य ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इस वजह से इसका सूतक नहीं रहेगा। सूर्य ग्रहण अमेरिका और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। भारतीय समय के अनुसार 2 जुलाई की रात लगभग 10.25 बजे से ग्रहण शुरू होगा और सुबह लगभग 3.21 बजे ग्रहण समाप्त हो जाएगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए सूर्य ग्रहण से जुड़ी खास बातें…

किन राशियों के लिए शुभ रहेगा

2 जुलाई को सूर्य मिथुन राशि में रहेगा। ग्रहण की वजह से मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, मकर और कुंभ राशि के लिए शुभ रहेगा। इन लोगों को कार्यों में सफलता मिल सकती है और धन लाभ मिल सकता है। सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन राशि के लोग इस दिन सावधान रहें। लापरवाही की वजह से परेशानियां बढ़ सकती हैं। सूर्य को जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।

ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यता

मान्यता है कि जब राहु चंद्र या सूर्य को ग्रसता है, तब ग्रहण होता है। इस संबंध में कथा प्रचलित है कि प्राचीन समय में जब समुद्र मंथन किया गया तब अमृत कलश निकला था। असुर भी अमृतपान करना चाहते थे, लेकिन भगवान विष्णु ने सिर्फ देवताओं को अमृतपान करवाया। उस समय असुर राहु ने देवताओं के साथ भेष बदलकर अमृतपान किया था। सूर्य और चंद्र ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को ये बात बताई। इसके बाद भगवान विष्णु ने राहु का मस्तक धड़ से अलग कर दिया था। चंद्र-सूर्य से बदला लेने के लिए राहु इन ग्रहों को ग्रसता है। जब-जब राहु सूर्य-चंद्र को ग्रसता है, तब-तब ग्रहण होता है।

कब होता है सूर्य ग्रहण

जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं। ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है, लेकिन इस ग्रहण का सूतक भारत में नहीं रहेगा, क्योंकि यहां सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा।

ग्रहण के समय क्या करें

ग्रहण के समय मंत्र जाप करना चाहिए। इस दौरान पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद पूरे घर की सफाई करनी चाहिए। ग्रहण से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रखना चाहिए। इससे खाने पर ग्रहण की नकारात्मक किरणों का असर नहीं होता है।

अमावस्या पर करें पितर देवताओं का पूजन

अमावस्या तिथि पर घर के पितर देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर इनके लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है।

Input : Dainik Bhaskar

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