इतना तो सब जानते हैं कि हिंदू धर्म के शास्त्रों में सभी देवी-देवताओं से जुड़ी कथाएं प्रचलित हैं। इसके साथ ही ये भी सबको पता ही होगा कि ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक देवी-देवता को एक-एक दिन समर्पित है, जिसके अनुसार पूजा करने से अनुकूल फल प्राप्त होते हैं। शास्त्रों की मानें तो रविवार का दिन सूर्यदेव का माना जाता है। वैसे तो सप्ताह के सातों दिन इनकी पूजा करना और इन्हें जल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। परंतु रविवार के दिन का शास्त्रों में बहुत ज्यादा महत्व है। ज्योतिष का मानना है कि अगर इस दिन इनकी पूजा-अर्चना के साथ-साथ सूर्य कवच का पाठ किया जाए तो और भी शुभ होता है।

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तो चलिए जानते हैं सूर्य कवच के बारे में-

हिंदू ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार श्री सूर्य कवच याज्ञवल्क्य जी द्वारा रचित एक बहुत ही सुन्दर कृति हैष कहा जाता है कि ये एक ऐसा कवच है जो मनुष्य को आपदाओं, संकट, धन का अभाव, और बुरी शक्तियों के साथ-साथ दुश्मनों से भी बचाता है।

 

सूर्यकवच

मान्यता है कि अगर इस कवच को पूर्ण श्रद्धा और सच्चे भक्ति भाव से अपने घर पर लगाया जाता है तो भगवान सूर्य देव की कृपा होती है। जिससे आपके परिवार के किसी सदस्य पर किसी भी तरह के शत्रु से, परेशानी आदि का साया नहीं रहता और पूरा परिवार सुखी रहता है।

 

आइये जानते हैं श्री सूर्य कवच के बारे में-

‘सूर्यकवचम’

याज्ञवल्क्य उवाच-

श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।

शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।1।
याज्ञवल्क्यजी बोले- हे मुनि श्रेष्ठ! सूर्य के शुभ कवच को सुनो, जो शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला है।

देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत् ।2।

ज्योतिषियों का मानना है कि चमकते हुए मुकुट वाले, डोलते हुए मकराकृत कुंडल वाले और हज़ार किरण वाले (सूर्य) को ध्यान में रखकर यह स्तोत्र को पढ़ना चाहिए।

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सूर्यकवच

शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर: ।3।

मेरे सिर की रक्षा भास्कर करें, अपरिमित कांति वाले ललाट की रक्षा करें। नेत्र (आंखों) की रक्षा दिनमणि करें तथा कान की रक्षा दिन के ईश्वर करें।
ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।

जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित: ।4।

मेरी नाक की रक्षा धर्मघृणि, मुख की रक्षा देववंदित, जिव्हा की रक्षा मानद् तथा कंठ की रक्षा देव वंदित करें।

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सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।

दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय: ।5।

माना जाता है कि सूर्य रक्षात्मक के इस स्तोत्र को भोज पत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में हो जाती हैं।

सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।

सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति ।6।

 

हिंदू शास्त्रों में वर्णन के मुताबिक स्नान करके जो कोई स्वच्छ चित्त से कवच पाठ करता है वह रोग से मुक्त हो जाता है, दीर्घायु होता है, सुख तथा यश प्राप्त होता है।

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