बिहार के सभी प्रखंडों में स्वीमिंग पूल बनाये जायेंगे। ये पूल 25 मीटर लंबे और 12.5 मीटर चौड़े होंगे। बाढ़ से बचाव के लिए हर आयु वर्ग के लोगों को तैराकी सिखाई जाएगी। वहीं प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में कुछ ऐसे लोग भी होंगे, जो तैराक बनकर उभरेंगे। जिन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली तैराकी प्रतियोगिता में जाने का मौका मिल सकेगा।
इसके निर्माण के लिए आपदा प्रबंधन ने भवन निर्माण विभाग को प्रस्ताव बनाने को पत्र लिखा था। अब भवन निर्माण विभाग ने नक्शा और प्राक्कलन तैयार कर आपदा प्रबंधन को भेज दिया है। वहां से स्वीकृति मिलते ही निर्माण की दिशा में कार्य शुरू हो जाएगा। इसके निर्माण के लिए 40-40 मीटर लंबी-चौड़ी जमीन की जरूरत पड़ेगी।
जानकारी के अनुसार, आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बाढ़ के दौरान आने वाले आपदा से निपटने और पानी में डूब कर होने वाली मौतों को रोकने के उद्देश्य से स्वीमिंग पूल बनाने की योजना बनाई गई है। पहले चरण में गंगा के किनारे बसे प्रखंडों में जमीन उपलब्धता के आधार पर स्विमिंग पूल का निर्माण होगा। इसके बाद बाढ़ से प्रभावित होने वाले प्रखंडों में इसका निर्माण होगा और लोगों को तैराकी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ये सुविधाएं होंगी
● यह चार लेन का होगा, चारों ओर स्टील की रेलिंग रहेगी
● इसके चारों तरफ व ऊपरी भाग में टाइल्स लगाई जाएगी
● महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम और शौचालय बनेंगे
● पानी की कमी नहीं हो, इसके लिए दो सबमर्सिबल बोरिंग भी लगाई जाएंगी
● बाढ़ के दौरान आपदा से निपटने के उद्देश्य से लोगों को दिया जाएगा तैराकी का प्रशिक्षण
बिहार में तैयार हो सकेंगे राष्ट्रीय स्तर के तैराक
बिहार में नदियों का जाल होने के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर युवा तैराकी में नहीं उभर पा रहे हैं। सुविधाएं बढ़ने से यहां भी ऐसे तैराक तैयार हो सकेंगे। बिहार तैराकी संघ के उपाध्यक्ष प्रभाकर नंदन प्रसाद ने बताया कि स्विमिंग पूल में फ्री, बैक, ब्रेस्ट और बटरफ्लाई स्टाइल स्ट्रोक के आधार पर तैराकी की जाती है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली तैराकी प्रतियोगिता में इन्हीं चारों स्ट्रोक के आधार पर विजेताओं का चयन होता है। लेकिन नदी में जो लोग तैराकी करते हैं, उन लोगों को स्ट्रोक के तरीकों की जानकारी नहीं होती है।
Source : Hindustan