बिहार के नियोजित शिक्षकों की बात सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी. कह दिया गया कि नियोजित शिक्षकों की मांग नहीं मानी जाएंगी. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार सरकार की खूब किरकिरी हो रही है. इसको लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट किया है. बिहार सरकार पर खूब बरसे हैं. इसके साथ ही साथ कई घोटालों की भी याद उपेंद्र कुशवहा ने दिलाई है.

अपने ट्विटर पर उपेंद्र कुशवाहा ने लिखा है कि CM नीतीश जी के अहंकार और हठयोग की भेंट चढ़ चुका है बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व नियोजित शिक्षकों का भविष्य. सृजन, विज्ञापन, बालू-दारुबन्दी, अल्पावास गृह जैसे दर्जनों घोटालों के लिए पैसा है पर शिक्षकों के लिए नहीं. कैसे पढ़ेगा, कैसे बढ़ेगा #बिहार ?

दरअसल, बिहार में काम के आधार पर स्थायी शिक्षकों के समान ही वेतन की मांग कर रहे करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार सरकार की अपील मंजूर करते हुए पटना हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया. बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने नियोजित टीचरों को नियमित सरकारी टीचरों के समान वेतन देने का आदेश दिया था. इस आदेश को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और आदेेश पर रोक लगाने की मांग की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. बिहार सरकार की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर कर कहा गया था कि नियोजित टीचर पंचायती राज निकायों के कर्मी हैं और बिहार सरकार के कर्मचारी नहीं हैं, ऐसे में इन्हें सरकारी टीचरों के बराबर सैलरी नहीं दी जा सकती.

Input : Live Cities

 

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