विमान तो नहीं, लेकिन पटरियों पर होस्टेस बनकर जैनम खातून का सपना पूरा हो गया। जैनम ने तीन दिन पहले ही कॉरपोरेट सेक्टर की देश की पहली ट्रेन आइआरसीटीसी तेजस एक्सप्रेस में रेल होस्टेस के रूप में अपनी सेवाएं शुरू की हैं। हालांकि विमान की अपेक्षा ट्रेन में होस्टेस के रूप में जॉब करना एक चुनौती भी है।
यहां यात्री न केवल सीट पर लगे कॉलिंग बटन को दबाकर होस्टेस को अकारण बुलाते हैं। वहीं उनका वीडियो तक तैयार कर लेते हैं। बिना पूछे सेल्फी तो ऐसे लेते हैं, जैसे यह सामान्य बात हो, लेकिन यह होस्टेस ही हैं जो असहजता का भाव भी मुस्कान से छिपा ले जाती हैं।
दरअसल, देश की सबसे आधुनिक सुविधाओं वाली तेजस एक्सप्रेस यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है। तेजस में 20 रेल होस्टेस की कमान एक कैप्टन के हाथ होती है। जो सुबह लखनऊ से रवाना होकर दोपहर को नई दिल्ली से फिर इसी ट्रेन से आती हैं। इस दौरान 18 घंटे की सर्विस यह ट्रेन होस्टेस देती हैं। अगले दिन इनको विश्राम दिया जाता है। निजी इंस्टीट्यूट से एविएशन हॉस्पिटेलिटी और कस्टमर सर्विस में डिप्लोमा लेने वाली यह होस्टेस यात्रियों को नाश्ता और डिनर परोसती हैं।
सुबह 6:10 बजे लखनऊ से ट्रेन के छूटने से पहले 6:05 बजे तक हर गेट पर एक ट्रेन होस्टेस यात्रियों का हाथ जोड़कर स्वागत करती है। जबकि दूसरी होस्टेस यात्रियों की सीट पर समाचार पत्र उपलब्ध कराती है। ट्रेन छूटने के अंतिम पांच मिनट में बाहर गेट पर खड़ी होस्टेस भी भीतर आ जाती है और फिर यात्रियों के लिए पानी व वेलकम ड्रिंक की तैयारी करती है।
कैप्टन की अहम जिम्मेदारी : गुरुवार सुबह नई दिल्ली रवाना हुई तेजस की कैप्टन शुभांगी श्रीवास्तव कहती हैं कि यात्रा शुरू होने से पहले सभी तैयारियों की जांच की जाती है। यह ट्रेन नारी सशक्तीकरण की मिसाल है। हालांकि हालात चाहे जो भी हो हमको धैर्य रखना पड़ता है। यात्रियों में सुविधाओं के साथ ट्रेन की होस्टेस के साथ तस्वीरों खींचने को लेकर उत्साह बना रहता है। तमाम यात्री तो कई बार क्रू सदस्यों का मोबाइल नंबर तक मांगते हैं।
Input : Dainik Jagran
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