राज्य में कई राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) परियोजनाएं समय से देर हो चुकी है। इनका निर्माण कार्य अब भी जारी है। इन परियोजनाओं को अविलंब पूरा करने के लिए सूबे के उपमुख्यमंत्री सह पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्य तौर पर पांच एनएच की देरी का जिक्र किया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में आधारभूत संरचनाओं के विकास हेतु सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय की ओर से तेज गति से कार्य किए जा रहे हैं। इस कारण बिहार की सड़क संरचना राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप विकसित हो रही हैं। इसके लिए व्यक्तिगत रूप से केंद्रीय मंत्री के प्रति आभारी हूं। लेकिन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा कार्यान्वित कई योजनाओं की प्रगति धीमी है। इससे इन सड़कों पर आवागमन में लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उपमुख्मंत्री ने कहा कि एनएचएआई की ओर से कार्यान्वित परियोजनाओं की नियमित समीक्षा मुख्य सचिव, बिहार व पथ निर्माण के स्तर पर की जाती है। भू-अर्जन की कार्रवाई को गति प्रदान करने के लिए एक मुख्य भू-अर्जन विशेषज्ञ एवं चार भू-अर्जन विशेषज्ञों का पद सृजित कर कार्य सम्पादित कराया जा रहा है। इसलिए केंद्र सरकार से आग्रह है कि राज्य की सड़क परियोजनाओं को तीव्र गति से पूर्ण करने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दें।
इन परियोजनाओं को पूरा करने को कहा
हाजीपुर-छपरा (एनएच 19) इस सड़क का निर्माण कार्य वर्ष 2011 में प्रारंभ किया गया था। इस परियोजना में भू-अर्जन की कोई समस्या भी नहीं है। लगभग 65 किमी लंबे इस पथ में 50 किमी का निर्माण कार्य कालीकरण स्तर तक पूर्ण कर लिया गया है। 12 वर्ष बाद भी निर्माण कार्य अधूरा है।
पटना-गया-डोभी (एनएच 83) इस सड़क का चार लेन चौड़ीकरण का कार्य 2015 से प्रगतिशील है। राज्य के महत्वपूर्ण स्थल गया व बोधगया को पटना से जोड़ने वाली यहसड़क है। पथ निर्माण में भू-अर्जन की कोई समस्या नहीं है। इस परियोजना की प्रगति मात्र 60 प्रतिशत है। जनवरी 23 में ही इसे पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया था।
वीरपुर-उदाकिशुनगंज (एनएच 106) विश्व बैंक के सहयोग से बन रही इस सड़क को दो लेन मानक के अनुरूप निर्माण का कार्य किया जा रहा है। 106 किमी लंबे इस पथ में लगभग 84 किमी का कालीकरण हो चुका है। लेकिन इसमें दो आरओबी व तीन वृहद पुल के निर्माण की गति धीमी है। एक वृहद पुल का पुर्नस्थापन कार्य अभी शुरू भी नहीं हो सका है। इसमें इस कार्य को निकट भविष्य में पूर्ण होने की संभावना कम है।
हाजीपुर-मुजफ्फरपुर (एनएच 77)
63 किमी लंबी सड़क को चार लेन मानक के अनुरूप विकसित करने का कार्य चल रहा है। परियोजना अन्तर्गत 16.87 किमी लंबे मुजफ्फरपुर बाइपास का भी निर्माण किया जाना है। इसमें लगभग सात किमी सड़क व एक आरओबी का निर्माण कार्य बचा हुआ है। इस कारण मुजफ्फरपुर शहर में जाम की समस्या रहती है और आवागमन में कठिनाई होती है। इस परियोजना हेतु एन्यूटी (वार्षिकी राशि) का भुगतान वर्ष 2016 से एनएचएआई के द्वारा किया जा रहा है। लेकिन भू-अर्जन की कोई समस्या नहीं होने तथा जिला प्रशासन द्वारा तत्परता से प्रशासनिक सहयोग उपलब्ध कराने के बावजूद निर्माण कार्य लगभग एक वर्ष से बंद है। वर्ष 2025 में रियायत अवधि पूर्ण होने के साथ रियायतग्राही अपने सभी जिम्मेवारियों से मुक्त हो जाएगा तथा संपूर्ण भुगतान के बावजूद निर्माण कार्य अधूरा रह जाएगा।
महेशखूंट-सहरसा-मधेपुरा-पूर्णिया (एनएच 107)
178 किमी लंबी इस सड़क को पेभ्ड सोल्डर सहित दो लेन मानक में बनाने का कार्य 2017 से दो पैकेज में हो रहा है। दोनों पैकेजों का कार्य धीमा है और वर्तमान में सड़क का अनुरक्षण (मरम्मत) भी ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा है। कोशी क्षेत्र में पड़ने वाले तीन जिला मुख्यालयों को बिहार से होकर गुजरने वाली आसाम रोड (एनएच 31) से जोड़ने वाली यह अत्यंत महत्वपूर्ण सड़क है।
Source : Hindustan