मुजफ्फरपुर : शहर मे आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा हैं। आए दिन आवारा पागल कुत्तों द्वारा लोगो को काटने की घटनायें सामने आ रही हैं लेकिन प्रशाशन द्वारा इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा हैं।
शहर में आवारा और पागल कुत्तों की संख्या बढ़ गई है। आज एमपी सिन्हा साइंस कॉलेज, #मुजफ्फरपुर में परीक्षा देने के बाद हम और हमारे दोस्त बात कर रहे हैं, तभी अचानक बगल से एक कुत्ता आया और मुझे और 2-3 छात्रों को काट खाया।@mfpcity @DM_Muzaffarpur @MSCLOfficial @MayorSuresh @manmardhan pic.twitter.com/wZCHyTkyH7
— Anshul Aman (@anshulaman968) August 24, 2022
आज मैंने RIG इंजेक्शन भी @Nishant69021 भाई के साथ जा कर ले लिया, लेकिन अब तक आवारा पशुओं पर प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया।@ashutoshdw @DM_Muzaffarpur @muzaffarpurlive @MSCLOfficial @manmardhan @officecmbihar @somnathsatyom90 @Awadheshkum https://t.co/pecRs30Sml
— Anshul Aman (@anshulaman968) August 26, 2022
परीक्षा देने गए छात्रों को कुत्तों ने काटा
आवारा कुत्तों द्वारा काटने की ताजा मामला एमपी सिन्हा साइंस कॉलेज के पास से आया हैं। जहां परीक्षा देने गए छात्रों को आवारा पागल कुत्तों ने हमला कर काट दिया। इस हमले घायल छात्र अंशुल अमन ने बताया की, “24 अगस्त को एमपी सिन्हा साइंस कॉलेज मे स्नातक पार्ट 2 की परीक्षा देने के बाद सेंटर पर ही अपने दोस्तों का इंतजार कर रहे थे और 1-2 दोस्तों से बात कर रहे थे. तभी अचानक एक कुत्ते ने आकर मुझपर और मेरे दोस्तों पर हमला कर दिया और मेरा बायां पैर मे पूरा दांत गड़ा कर काट लिया। हमने कुत्ते को ना छेड़ा और न हीं परेशान किया, फिर भी उसने काट लिया। वह आवारा पागल कुत्ता था।”
प्रशासन इसपर ध्यान नहीं दे रहा
कुत्तों द्वारा काटने से घायल छात्र अंशुल अमन ने आगे कहा की, “आजकल शहर में आवारा पशुओं की संख्या बढ़ गई हैं। प्रशासन इसपर ध्यान नहीं दे रहा हैं। 2-4 घटनाएं नहीं हो जाती तब तक प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगता हैं। नगरवासी हमारे शहर में कितने सालों से आवारा पशुओं की समस्या का सामना कर रहे हैं पता नहीं. कभी किसी को बैल ने मारा तो किसी को भैंस ने, तो किसी को कुत्ते ने काटा हो।”
कुत्ते के काटने के बाद इलाज के बारे बताया
वहीं अंशुल ने अपने इलाज के बारे मे बताया की, “कुत्ते के काटने के बाद मैंने सबसे पहले एक प्राइवेट डॉक्टर को दिखाकर एंटी रैबीज का टीका लगवाया और मन की शांति के लिए सदर अस्पताल भी गया। वहां मुझे एंटी रेबीज इंजेक्शन के अलावा रिग इंजेक्शन के बारे में पता चला। लेकिन यह इंजेक्शन मेडिकल में नहीं था, इसलिए मैं 26 तारीख को मेडिकल गया और फिर डॉक्टर को दिखाया और रिग इंजेक्शन लिया जो घाव के आसपास में लगता हैं उसे लगवाया।”