भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी यानी सोमवार को किए जाने वाले लोक आस्था के पर्व चौठचंद्र को लेकर श्रद्धालु भक्तों में काफी उल्लास है। घर-घर इसकी तैयारियां की जा रही हैं। सोमवार की शाम व्रती महिलाएं अपने आंगन या छत पर रंग बिरंगे चौक लगाएंगी। उसके ऊपर छोटे-छोटे मिट्टी के बर्तनों में दही व पकवान की डाली रखकर उगते चंद्र को अर्घ्य देंगी। हाथों में एक-एक कर दही व पकवान की डाली लेकर दूध व गंगाजल से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा।
पर्व का है बड़ा महत्व
लोक आस्था के इस पर्व का महात्म्य पुराणों में भी दिया गया है। इस दिन व्रत रहने से व्यक्ति के रोग-व्याधि आदि सभी क्लेश दूर हो जाते हैं। व्रत में फल व दही का विशेष महत्व है। इसे लेकर शनिवार को बाजार में काफी चहल-पहल रही। पर्व को देखते हुए फल दुकानदार अपनी दुकानों पर तरह-तरह के मौसमी फल जैसे – केला, सेब, नाशपाती, अनार आदि सजाए थे। अर्घ्य के समय दही के छाछ को आगे रखकर चंद्रमा को देखा जाता है। कहा जाता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बिना कोई फल लिए चंद्र दर्शन करने से दोष लगता है। इस दिन किया गया स्नान, दान, उपवास व अर्चना, गणपति की कृपा से सौ गुनी हो जाती है। पर्व में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद संध्या समय चंद्रमा को अघ्र्य देंगी। पर्व में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और दही व खीर की प्राथमिकता है।
Input : Dainik Jagran