जिले में दुर्गा पूजा बड़ी आस्था व उल्लास से मनाया जाता है। लेकिन, बहुत कम लोगों को मालूम है कि शहर में मां भवानी की पहली मूर्ति पूजा की शुरुआत 18वीं सदी में गरीबनाथ मंदिर से सटे ब्राह्मण टोली में एक ब्राह्मण परिवार ने की थी। इस परिवार ने घर में पहली बार मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की थी। स्व. भगवती प्रसाद मिश्रा ने स्वयं एक ही चाल में मां दुर्गा, महिषासुर, शेर, गणेश-कार्तिकेय, मां लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा बनाकर बंगाल की दुर्गापूजा के प्रचलन को आगे बढ़ाया था।
स्व. मिश्रा के पुत्र स्व. महामाया प्रसाद मिश्रा मारवाड़ी हाईस्कूल में शिक्षक थे। उन्होंने अपने पिता से मार्गदर्शन लेकर पूजा जारी रखा। स्व. महामाया प्रसाद मिश्रा के पुत्र उमाशंकर प्रसाद मिश्रा अपने पूर्वजों की इस परम्परा को आज भी जारी रखे हुए हैं। रिटायर शिक्षक उमाशंकर प्रसाद मिश्रा अब बूढ़े हो चुके हैं फिर भी प्रत्येक आश्विन नवरात्र में पूरे परिवार के साथ दुर्गापूजा करते हैं। वह कहते हैं उनके घर में 18वीं सदी के समय का बड़ा शंख और चांदी का मुकुट है। दुर्गा जी को हर साल यह मुकूट पहनाया जाता है। आरती के समय उनका परिवार शंख बजाता है।
हरिसभा चौक के पास स्थापित हुई थी प्रतिमा
दुर्गापूजा बंगालियों का सबसे बड़ा त्योहार है। शहर के बंगाली समाज ने वर्ष 1901 में हरिसभा चौक के पास एक मड़ई में दूसरी मूर्ति पूजा की शुरुआत की थी। ब्रिटिश काल में इसी मड़ई में स्कूल भी चलता था। हरिसभा दुर्गापूजा समिति के उपाध्यक्ष देवाशीष गुप्ता कहते हैं कि वर्ष 1901 से पहले बंगाली समुदाय के लोगों के घर-घर में प्रत्येक शारदीय नवरात्र के महाषठी को कलश स्थापन होता था। यहां पूजा की शुरुआत होने के बाद बंगाली समाज के लोग अंग्रेजों के खिलाफ इसी बहाने एकजुट होते थे। हरिसभा स्कूल में आज भी दुर्गापूजा हो रही है। बंगाली समाज के लोगों ने छोटी कल्याणी स्थित एक घर में भी दुर्गा की मूर्ति की पूजा शुरू की थी।
अन्य जगहों पर पूजा का प्रचलन शुरू
इसके बाद शहर के धर्मशाला चौक स्थित महामाया स्थान, कल्याणी चौक व बनारस बैंक चौक पर मूर्ति पूजा शुरू हुई। इसके बाद शहरवासियों में दुर्गापूजा का क्रेज काफी बढ़ गया। पंकज मार्केट, अघोरिया बाजार, छाता चौक एवं नया टोला (चन्द्रलोक चौक) पर पूजा की शुरू हुई। इसके बाद छोटी सरैयागंज, लेनिन चौक, माड़ीपुर चौक, रामदयालुनगर, अखाड़ाघाट रोड, महेशबाबू चौक स्थित महामाया स्थान, ब्रह्मपुरा चौक, नाजिरपुर समेत अन्य जगहों पर पूजा ने भव्य रूप ले लिया। अब हर साल शहर में प्रत्येक शारदीय नवरात्र में इसकी रौनक देखते बनती है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी शहर में पूजा देखने आते हैं।
Input : Hindustan