11 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व पर इस बार अशुभ भद्रा योग का साया रहेगा। पूर्णिमा तिथि इस दिन सुबह 9:37 से शुरू होकर अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 7:18 बजे तक रहेगी, लेकिन इसी दौरान भद्रा योग भी शुरू हो जाएगा, जो रात 8:27 बजे तक रहेगा। भद्राकाल में राखी बंधवाना शुभ नहीं माना जाता है। हालांकि पंचांगों में भद्राकाल के समय को लेकर मतभेद होने से संशय की स्थिति बनी हुई है। कुछ पंचांगों में भद्राकाल का समय गुरुवार दोपहर 2:38 तक ही है। पंडितों का कहना है कि भद्रा योग समाप्त होने पर राखी बंधवाएं और ज्यादा जरूरी हो तो प्रदोषकाल में शुभ, लाभ, अमृत में से कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बंधवा लें। इस दिन यदि भद्रा का अशुभ योग है तो आयुष्मान, सौभाग्य, रवि, शोभन योग जैसे शुभ योगों का संयोग भी रहेगा। इस बार पाताल में भद्रा का निवास जब भद्रा निवास आकाश लोक में रहता है तो शुभ कार्य किए जा सकते हैं, लेकिन इस बार 11 अगस्त को निवास पाताल लोक में रहेगा।

शास्त्रोक्त मान्यता… सूर्य और छाया की पुत्री भद्रा शनि की बहन शास्त्रोक्त मान्यता के अनुसार सूर्य और छाया की पुत्री भद्रा शनि की बहन है। भद्रा को कुरूप और भक्षण प्रवृत्ति की मानी जाती है। वह जन्म के समय ही सृष्टि का विनाश करने पर उतारू थी। इसे ब्रह्मा ने शांत कर उसे 7वें करण में स्थान दिया। तब से इस योग में रक्षाबंधन और अन्य शुभ कर्म वर्जित माना जाता है।

रक्षाबंधन पर इस बार चार योग

11 अगस्त को सूर्योदय से दोपहर 3:31 तक आयुष्मान योग रहेगा।

सुबह 5:30 से शाम 6:53 तक रवि योग।

गुरुवार दोपहर 3:32 से शुक्रवार सुबह 11:33 तक सौभाग्य योग रहेगा।

गुरुवार को रक्षाबंधन पर धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग भी बनेगा।

असमंजस… राखी बंधवाने के समय को लेकर पंडित एक मत नहीं

पूर्णिमा पर श्रावणी उपाकर्म दसविधि स्नान आदि सुबह भद्रा शुरू होने से पहले करें। या फिर अगले दिन शुक्रवार को सूर्योदय के बाद से पूर्णिमा रहने यानी शुक्रवार को सुबह 7:18 बजे तक कर लें। भद्राकाल में राखी बंधवाने से बचें। यह अशुभ योग होता है। ज्यादा जरूरी होने पर प्रदोषकाल में शाम 6 से 7:30 के बीच राखी बंधवाएं। वैसे भद्रा का पुच्छकाल शाम 5:17 से शाम 6.18 तक रहेगा।

स्थानीय शिव पंचांग में भद्रा 11 अगस्त को दोपहर 2:38 तक ही है। इसके बाद राखी बंधवा सकते हैं। पूर्णिमा तिथि 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे तक ही है। इसलिए 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन मनाया जाना उचित है। वैसे ज्यादातर पंचांगों में भद्रा गुरुवार रात 8:27 तक रहने का ही उल्लेख है। पंडितों के अनुसार राखी बंधवाने से पहले दीप जलाकर उसे साक्षी बनाए।

Source : Dainik Bhaskar

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