शनिवार को देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में पतझड़ सत्र की पासिंग आउट परेड आयोजित हुई, जहां अनेक युवाओं के सपनों को नई उड़ान मिली। इन्हीं में से एक हैं उत्तराखंड के रानीखेत निवासी दीपक सिंह बिष्ट, जिन्होंने कठिन परिश्रम और अटूट संकल्प के बल पर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया।

दीपक का परिवार बेहद साधारण पृष्ठभूमि से है। उनके पिता दिल्ली में एक ढाबा चलाते हैं। अल्मोड़ा जिले के महतगांव के प्रिंस पब्लिक स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद दीपक दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने सूरजमल विहार स्थित राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान उन्होंने एनसीसी ज्वाइन किया, जिसने उनके अंदर देशसेवा का जुनून जगाया और सेना में अधिकारी बनने का सपना दिखाया।

दीपक ने अपने सपने को साकार करने के लिए सीडीएस परीक्षा दी, लेकिन शुरुआती 10 प्रयासों में असफलता हाथ लगी। 11वें प्रयास में उन्होंने परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन उनका चयन वायुसेना के लिए हुआ। आर्मी में जाने के सपने के कारण उन्होंने वायुसेना की नौकरी को ठुकरा दिया। अंततः 12वें प्रयास में उनकी मेहनत रंग लाई, और उनका चयन भारतीय सेना में हुआ।

सेना की तैयारी के दौरान दीपक न केवल अपनी तैयारी में जुटे रहे, बल्कि जरूरतमंद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर उनकी मदद भी की। IMA में पासिंग आउट परेड के दौरान जब दीपक ने अपनी वर्दी में माता-पिता से मुलाकात की, तो उनके चेहरे गर्व और खुशी से चमक उठे।

दीपक सिंह बिष्ट की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है, जो असफलताओं के बावजूद अपने सपनों को साकार करने की हिम्मत रखते हैं। उनके संघर्ष और दृढ़ता ने यह साबित किया है कि मेहनत और समर्पण के बल पर कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

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