मुजफ्फरपुर। नीतीश्वर कॉलेज के हिन्दी के शिक्षक डॉ. ललन कुमार ने कुलपति को पत्र लिखकर तीन वर्ष का वेतन लौटाने की इच्छा जाहिर की है। शिक्षक का कहना है कि छात्र आते ही नहीं हैं। इसलिए उन्हें वेतन लेने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने 2019 से लेकर अबतक मिले वेतन 23 लाख 82 हजार 228 रुपए विवि से वापस लेने का अनुरोध किया है।
कुलपति को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि वह एमए के छात्रों की कक्षा लेना चाहते हैं, लेकिन छात्र नहीं आते हैं, इसलिए उनकी पढ़ाई बेकार जा रही है। उन्होंने कुलपति से अपना तबादला आरडीएस या एमडीडीएम कॉलेज में करने का अनुरोध किया है। हालांकि, उनके आवेदन पर अभी विश्वविद्यालय की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
उधर, नीतीश्वर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि शिक्षक ने तबादले को लेकर कोई आवेदन उनके पास नहीं दिया है। इसलिए पूरा मामला उनके संज्ञान में नहीं है। यदि वह कह रहे हैं कि छात्र नहीं आते हैं तो उन्हें छात्रों को बुलाना चाहिए। कॉलेज में हिन्दी पढ़ने वाले कई छात्र हैं। ऑनर्स के अलावा एमआईएल की भी पढ़ाई होती है। नॉन हिन्दी वाले भी 50 नंबर का हिन्दी पढ़ते हैं। शिक्षक कोशिश करेंगे तो छात्र आएंगे।
इस तरह का पहला मामला: विवि में शिक्षक के वेतन लौटाने का यह पहला मामला है। पूरे दिन विवि में इस मामले की चर्चा रही। विश्वविद्यालय के कर्मचारी और शिक्षकों का कहना था कि ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि कोई शिक्षक खुद ही अपना पूरा वेतन विवि को वापस करना चाह रहा है।
23 लाख का चेक लेकर पहुंचे विश्वविद्यालय
डॉ. ललन कुमार मंगलवार को 23 लाख का चेक लेकर विवि रजिस्ट्रार के पास पहुंचे और राशि वापस लेने का अनुरोध किया। उनकी बात सुनकर वहां मौजूद लोग अचंभे में पड़ गए। शिक्षक का कहना था कि जब विभाग में छात्र पढ़ने आते ही नहीं हैं तो वह वेतन क्यों लें। बिहार विवि के रजिस्ट्रार प्रो. राम कृष्ण ठाकुर ने बताया कि शिक्षक 23 लाख का चेक लेकर आये थे, लेकिन राशि लौटाने की कोई परंपरा नहीं है। शिक्षक को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया गया। इस मामले पर कॉलेज के प्राचार्य से बात की जाएगी।
Source : Hindustan